जेलों में अलग 'कानून', 18 नहीं 21 वर्ष में माने जाते हैं बंदी बालिग, जानें क्यों

Somya Sri, Last updated: Sun, 12th Dec 2021, 11:29 AM IST
  • 62वें संविधान संशोधन 1988 के मुताबिक 18 साल की उम्र को बालिग होने की मान्यता दी गई है. इस कानून के मुताबिक 18 की उम्र से नीचे के आरोपियों को बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है. लेकिन 1861 में बने जेल मैनुअल में बालिग होने की उम्र (21) का बदलाव अब तक नहीं हो पाया. यही कारण है कि गोरखपुर के जेल में 116 बंदियों को अलग बैरक में रखा गया है. जबकि इनकी उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच की है. जेल प्रशासन द्वारा इन्हें नाबालिग मानने के कारण ये बाहर जल्दी निकल जाते और बड़े क्रिमिनल बन जाते हैं.
गोरखपुर के जेलों में अलग 'कानून', 18 नहीं 21 वर्ष में माने जाते हैं बंदी बालिग (प्रतिकात्मक फोटो)

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला में अब भी 33 साल पहले वाला कानून ही माना जा रहा है. गोरखपुर के जेलों में आज भी बंदियों को बालिग माने जाने वाली उम्र 21 वर्ष है. जबकि 1988 में राजीव गांधी के शासन के समय 62वें संविधान संशोधन के वक्त बालिग होने की उम्र 21 से घटाकर 18 कर दी गई थी. तभी से ही वोट देने की उम्र भी 21 वर्ष से घटकर 18 हो गयी थी. लेकिन 33 साल बीत जाने के बाद भी गोरखपुर के जेल मैनुअल में कोई बदलाव नहीं आया है. यही कारण है कि 18 से 21 के बंदियों को भी नाबालिग मानकर अलग बैरक में रखा जाता है. उन्हें जेल के अंदर नाबालिग वाली सुविधा ही मिलती है. साथ ही जेल प्रशासन द्वारा इन्हें नाबालिग मानने के कारण इन्हें जल्द ही बेल मिल जाती है. जिससे ये बाहर निकल कर और बड़े क्रिमिनल बन जाते हैं.

जानकारी के मुताबिक गोरखपुर जिले में इस समय 116 बंदी ऐसे हैं जिनकी उम्र 21 साल से कम उर उम्र 18 साल या फिर उससे ज्यादा है. इन बंदियों को जेल प्रशासन जुवेनाइल की श्रेणी में मानता है और अलग बैरक में रखता है. जबकि 62वें संविधान संशोधन के मुताबिक 1988 से 18 साल की उम्र को बालिग होने की मान्यता दी गई है और इसी के हिसाब से सजा और जेल का भी प्रावधान तय किया गया है. इस कानून के मुताबिक 18 की उम्र से नीचे के आरोपियों को बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है. लेकिन 1861 में बने जेल मैनुअल में बालिग होने की उम्र का बदलाव अब तक नहीं हो पाया. यही कारण है कि गोरखपुर के जेल में 116 बंदियों को अलग बैरक में रखा गया है. जबकि इनकी उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच की है.

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वहीं गोरखपुर के एक जेल के जेलर का कहना है कि जेल मैनुअल के मुताबिक जेल की व्यवस्था चलती है. जेल में 18 से 20 वर्ष के बंदियों अल्पवयस्क श्रेणी में रखा जाता है. इनकी अलग से गिनती होती है. उन्हें अलग बैरक में रखा जाता है. यह सब इसलिए होता है कि वह अन्य बंदियों की सोहबत में और ज्यादा न बिगड़ जाए.

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