ऊंचाई में गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर ने कुतुब मीनार को छोड़ा पीछे, दुनिया भर में बना नंबर 1
- आज 7 दिसंबर 202, मंगलवार को प्रधानमंत्री द्वारा गोरखपुर में खाद कारखाने का उद्घाटन किया जाएगा. इस खाद कारखाने की वजह से गोरखपुर नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है. इस खाद कारखाने के प्रिलिंग टावर अब दुनिया का सबसे ऊंचा टावर बन गया है. इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई के दोगुने से भी अधिक है.

गोरखपुर. हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (Hindustan Urvarak & Rasayan Limited) की तरफ से गोरखपुर में बनाए गए खाद कारखाने की वजह से उत्तरप्रदेश के नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है. गोरखपुर खाद कारखाने के प्रिलिंग टावर अब दुनिया का सबसे ऊंचा टावर(world tallest tower) बन गया है. इस प्रिलिंग टावर की ऊंचाई कुतुब मीनार(Qutub Minar) की ऊंचाई के दोगुने से भी अधिक है. गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर का निर्माण जापानी कंपनी ने किया है, इसकी ऊंचाई 149.5 मीटर (490.48 फीट) है. वहीं कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) है.
इससे पहले पाकिस्तान के दहरकी में एग्रो फर्टिलाइजर्स लिमिटेड द्वारा बनाए गए प्रिलिंग टावर दुनिया का सबसे ऊंचा था. उसकी ऊंचाई 125 मीटर है, जबकि गोरखपुर खाद कारखाने की ऊंचाई इससे करीब 25 मीटर अधिक है. अब दुनिया भर में जितने भी यूरिया खाद के कारखाने बने हैं, उनमें गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर सबसे ऊंचा हो गया है. दरअसल यूरिया प्लांट में टावर की ऊंचाई हवा की औसत रफ्तार के आधार पर तय की जाती है. इसके लिए एचयूआरएल की टीम ने महीने भर हवा की रफ्तार के बारे में सर्वे किया था.
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क्या होता है प्रिलिंग टावर
गोरखपुर खाद कारखाना के 149.5 मीटर ऊंचे प्रिलिंग टावर में यूरिया निर्माण से संबंधित तरल पदार्थों को दूसरे यूनिट से पाइपलाइन के माध्यम से लाकर ऊंचाई से गिराया जाएगा. इसके बाद वह धीरे-धीरे नीचे आते हुए टावर के अंदर के तापमान की वजह से छोटे-छोटे दानों में बदल जाएगा. यूरिया के दानों के लिए देश में जो मानक तय हैं उसके मुताबिक, यूरिया के दाने 0.3 एमएम से अधिक नहीं होने चाहिए. गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर ऊंचा होने की वजह से इसमें 0.2 एमएम के दाने बनेंगे. दानों का आकार छोटा होने से वे मिट्टी में जल्दी घुलेंगे और उसका असर जल्द होगा.
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