भू माफिया ने मृत बताकर हड़प ली जमीन, अब जांच रिपोर्ट एसडीएम कार्यालय में तोड़ रही दम
- गोरखपुर में भू माफिया ने मृत बताकर नूर मोहम्मद की पैतृक जमीन-आवास सब हड़प लिया. जिसकी शिकायत के बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी द्वारा जांच के बाद भेजी गई फाइल एसडीएम कार्यालय में पड़ी हुई है. पीड़ित नूर मोहम्मद ने परेशान होकर न्याय के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है

गोरखपुर. गोरखपुर में भूमाफिया की हेराफेरी का शिकार हो पैतृक जमीन-आवास गंवाने वाले नूर मोहम्मद की मुसीबत कम नहीं हो रहा है. पहले भूमाफिया ने मृत बताकर जमीन हड़प लिया. अब जांच की फाइल एसडीएम कार्यालय में अटकी हुई है. सहजनवां तहसीलदार का कहना है कि उन्होंने तीन दिन पहले तहसील स्तर पर की गई जांच की फाइल एसडीएम कार्यालय भेज दिया. वही सहजनवां एसडीएम ख रहे हमे इस बात की जानकारी नहीं है. पीड़ित नूर मोहम्मद ने अब परेशान होकर न्याय के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है.
दरअसल सहजनवां तहसील क्षेत्र के जयपुर गौसपुर में रहने वाले नूर मोहम्मद की जमीन को कुछ लोगों ने उन्हें कागज में मृत बताकर हड़प लिया. तीस साल बाद जब नूर मोहम्मद दिल्ली से वापस लौटे तो उनको इस बात की जानकारी मिली. नूर मोहम्मद ने इसकी शिकायत डीएम सहित आला अधिकारियों से की थी. जिसके बाद तहसीलदार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. 27 सितंबर को कमेटी ने पीड़ित, विपक्षी और गांव वालों के बयान दर्ज किए थे.
कमेटी के जांच के दौरान आरोपी पक्ष के लोग जमीन से जुड़े दस्तावेज कमेटी को नहीं दिखा पाएं थे. जांच के दौरान यह भी जानकारी सामने आई थी की नूर मोहम्मद का मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनाया गया है. कमेटी ने जांच पड़ताल कर दो दिन में रिपोर्ट तहसीलदार को सौंप दी थी. सहजनवां तहसीलदार बृज मोहन शुक्ला के अनुसार उन्होंने जांच रिपोर्ट मिलते ही सहजनवां एसडीएम को भेज दी थी. क्योंकि अब आगे की कार्रवाई एसडीएम और आला अधिकारियों के स्तर पर की जानी है.
नूर मोहम्मद के अनुसार सहजनवां एसडीएम सुरेश कुमार राय ने यह हटे हुए पल्ला झाड़ लिया कि मामला चकबंदी कार्यालय से जुड़ा है. हम कुछ नहीं कर सकते. तहसील द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि हमे इस बात की कोई जानकारी नहीं है. नूर मोहम्मद ने हारकर अब न्याय के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है.
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