Sant Ravidas Jayanti 2022: रविदास जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल विचार और दोहे

Atul Gupta, Last updated: Tue, 15th Feb 2022, 2:55 PM IST
  • Sant Ravidas Jayanti 2022: बुधवार को देशभर में संत रविदास जी की जयंती मनाई जाएगी. महान समाज सुधारक गुरु रविदास जी के जन्मोत्सव पर पढ़ें उनके अनमोल विचार और दोहे Sant Ravidas Dohe
संत रविदास जयंती बुधवार को मनाई जाएगी (फोटो- सोशल मीडिया)

Sant Ravidas Jayanti 2022: बुधवार 16 फरवरी को देशभर में रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2022) धूमधाम से मनाई जाएगी. महान धर्म सुधारक रविदास जी के उपदेशों और उनकी शिक्षाओं (Sant Ravidas Dohe) से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है. रविदास जयंती पर उनके लाखों अनुयायी हर साल उनके जन्म स्थान पर जमा होते हैं और भजन कीर्तन करते हैं. संत रविदास जयंती का जन्मदिन हर साल माघ महीने की पूर्णिमा को आता है और इस दिन गंगा स्थान का भी विशेष महत्व होता है. संत रविदास को उनके भक्त रैदासजी के नाम से भी पुकारते हैं. कहा जाता है कि संत रविदास के माता-पिता चर्मकार थे. संत रविदास बचपन से ही शांत और धार्मिक स्वभाव के थे.

कहा जाता है कि संत रविदास ने अपने माता पिता के ही पैतृक काम को आगे बढ़ाया लेकिन उनका मन हमेशा भगवान की भक्ति में लगा रहता था. बाद में संत रविदास ने सामाजिक उत्थान के लिए कई काम किए और लोगों को शिक्षित करना शुरू किया. संत रविदास ने समाज से ऊंच-नीच का भेद खत्म करने के लिए कई काम किए. उनकी शिक्षाएं और उनके प्रवचन ने समाज में नई चेतना का संचार किया. संत रविदास जी का एक दोहा पूरे देश में खूब प्रचलित हुआ जिसमें वो कहते हैं मन चंगा तो कठौती में गंगा. का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार। रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।। इसका अर्थ है कि अगर आप साफ मन से कोई काम करते हैं तो उससे पवित्र काम कोई और नहीं हो सकता. संत रविदास जी का एक और दोहा समाज के लिए बड़ा सार्थक सिद्ध हुआ जिसमें वो कहते हैं

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।। इसका अर्थ है कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं.

संत रविदास जी कहते हैं करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास... हमें हमेंशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ ही साथ फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य

 

 

 

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