आजादी के अर्थ हुए बेमाने, इंदौर में दलितों को नहीं मिला श्मशान

Smart News Team, Last updated: Mon, 17th Aug 2020, 10:37 AM IST
  • आजादी के 74 वर्ष बीत जाने के बाद भी एक गांव के दलित परिवारों को आज तक श्मशान नसीब नहीं हुआ है
पन्नी से ढक कर अंतिम क्रिया करते हुए 

मध्यप्रदेश के इंदौर में आजादी के 74 वर्ष बीत जाने के बाद भी एक गांव के दलित परिवारों को आज तक श्मशान नसीब नहीं हुआ है. यहां के लोग अपने परिजनों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर है. यहां जब भी बारिश और उससे संबंधित माहौल उत्पन्न होता है तो वह लोग कई घंटों तक शव के दाह संस्कार किए जाने का इंतजार करते हैं. इसके अलावा जब भी बारिश व दैवीय आपदा शांत नहीं होती है तो वह तिरपाल या पन्नी से ढक कर अपनों का दाह संस्कार करते हैं.

मध्यप्रदेश के इंदौर में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला. जिसमें इंदौर की महू तहसील के मालवीय नगर इलाके के बजरंग नगर में एक 90 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई. मौत हो जाने के बाद परिजन उसके शव को लेकर श्मशान की ओर गए. मगर वहां उन्हें न तो शव के संस्कार के लिए जगह ही दी गई और न ही वह उस शव को मुखाग्नि दे सके.

इसकी वजह यह है कि आजादी के 74 वर्ष बाद भी इस गांव में श्मशान की व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते यहां खुले में नदी के करीब शवों को जलाया जाता है. मगर ताजा मामलों के अनुसार देश के इस इलाके में गरीबों के लिए श्मशान स्थल पर कोई भी जगह उपलब्ध नहीं है.

श्मशान के निर्माण के लिए इंदौर के पूर्व कलेक्टर ने तीन लाख रुपये आवंटित किए थे. तब तत्कालीन एसडीएम द्वारा 15 दिनों में श्मशान के निर्माण का आश्वासन दिया था. मगर एक वर्ष बीत जाने के बाद भी वहां पर शमशान का निर्माण नहीं हो सका है.

मामले के संज्ञान में आने के बाद जिला स्तरीय अधिकारियों ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसी बीच एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक दलित परिवार अपने किसी खास व्यक्ति का दाह संस्कार कर रहा था और उसी दौरान बारिश होने लगी. जिससे उसने शव दाह संस्कार के बाद जल रहे उसके शरीर के ऊपर पन्नी से डालकर बारिश से बचाया.

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