अन्न बोकर पूरी जिंदगी भरे लोगों के पेट, मरने के बाद किसान ने अंग दान से बचाई जिंदगियां

Shubham Bajpai, Last updated: Thu, 2nd Dec 2021, 1:10 PM IST
  • इंदौर में एक किसान ने मानवता के साथ अपने कर्तव्य की नई मिसाल पेश की. इंदौर के किसान ने जीते जी तो अन्न बोकर अपना फर्ज निभाया लेकिन मरते मरते भी वो कई जिंदगियां बचाकर चला गया. किसान का एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद उसके परिजनों ने उसके अंगदान करके मुंबई और हैदराबाद में कई जिंदगियां बचाई. 
इंदौर के किसान ने जीते-जी अन्न बोकर और मरने के बाद अंग दान कर बचाई जिंदगियां

इंदौर. किसान को हमारे देश में ऐसे ही अन्नदाता नहीं कहा जाता. किसान हमेशा देश और समाज को देने के लिए तात्पर्य रहा है. ऐसा ही किया है इंदौर के किसान खुम सिंह सोलंकी ने. सोलंकी जब जक जिंदा थे, तो अन्न बोकर देश व समाज को अन्न दिया और मरने के बाद भी वो कई जिंदगियां बचाकर गए. खुम सिंह का एक एक्सीडेंट हो गया. जिसके बाद डॉक्टरों ने काफी इलाज के बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. सोलंकी ने परिवार ने इतने दुख के बाद भी अंगदान के लिए तैयार हुए. सोलंकी का हार्ट, लीवर और किडनी तीनों को दान किया गया. जिससे कई जिंदगियां बची, इसमें एक 5 साल की मासूम की जिंदगी भी बचाई गई.

सड़क हादसे में घायल हुआ किसान

देवास के रहने वाले 41 साल के खुम सिंह सोलंकी 28 नवंबर को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और जिसके बाद खुम को इंदौर भर्ती कराया गया. इंदौर में लगातार उनकी सेहत बिगड़ती रही और डॉक्टर ने उनको ब्रेन डेड घोषित कर दिया. सोलंकी की मौत के बाद उनके परिजनों ने अंगदान के लिए राजी हुए.

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डॉक्टरों ने सर्जरी कर निकले अंग

इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी करके मृत किसान के शरीर से उनके हार्ट, जिगर, दोनों गुर्दे और दोनों फेफड़े निकाल लिए है. जिसको अलग-अलग लोगों को प्रतिरोपित किया गया.

हार्ट से बची पांच साल की मासूम कि जिंदगी

खुम सिंह के हार्ट प्रतिरोपण से मुंबई की 5 साल की मासूम की जिंदगी बच सकी. उनके हार्ट को हवाई मार्ग से मुंबई भेजकर बच्ची में प्रतिरोपित किया गया. बच्ची को हार्ट की गंभीर बीमारी थी और इस वजह से उसके आस-पास जगह बढ़ गई थी. वहीं, संयोग से किसान का हार्ट साइज में छोटा था. जिस वजह से आसानी से वो बच्ची में प्रतिरोपित हो गया. इसे डॉक्टर दुर्लभ संयोग मान रहे हैं. अब मुंबई में बच्ची की स्थिति स्थिर है.

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हैदराबाद के मरीज को प्रतिरोपित किए फेफड़े

डॉ. संजय ने बताया कि सोलंकी के फेफड़े से हैदराबाद के एक 38 साल के मरीज की जान बचाई गई. हवाई मार्ग से उसके फेफड़े हैदराबाद भेजे गए. वहीं. उसके जिगर व दोनों गुर्दों से इंदौर के तीन मरीजों को नई जिंदगी मिली.

बता दें कि इंदौर में पिछले 6 साल में 42 मृत मरीजों का अंगदान हो चुका है. जिससे दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना समेत कई जगहों के मरीजों की जिंदगी बचाई गई है.

 

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