कोरोना काल में गायब रहने वाले सरकारी कर्मचारी हो जाएं सावधान, देना होगा प्रमाण

Smart News Team, Last updated: Sat, 29th May 2021, 8:17 PM IST
इंदौर में महामारी का बहाना लेकर अवकाश पर रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्हें यदि कोई बीमारी हुई है तो उसका प्रमाण देना होगा . इंदौर के महिला एवं बाल विकास विभाग ने तो इस व्यवस्था के तहत अब ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों से जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है .
इंदौर में महामारी का बहाना बनाकर अवकाश लेना परेगा महंगा .

इंदौर. यूं तो आपने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के कई बहाने आम दिनों में सुने व देखे होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं, अपने ही महकमे से बेवजह छुट्टी लेकर काम न करने वालों की अब मुश्किलें बढ़ गई है.

 दरअसल, कोरोना महामारी की आड़ लेकर बेवजह शासकीय कार्य नहीं करने वाले व बार-बार गायब रहने वाले कर्मचारियों को अब जवाब देना पड़ेगा. अगर उनका स्वास्थ्य खराब है तो उन्हें चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है.

 

मध्यप्रदेश के इंदौर के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. जिसमे ये बात साफ़ की गई है कि शासन द्वारा समय-समय पर इंदौर सहित पूरे प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यालयों से विभिन्न जानकारियां मंगाई जाती हैं, लेकिन कई अधिकारियों कर्मचारियों के अनुपस्थित रहने के कारण जानकारी एकत्रित कर शासन को नहीं भेजी गई है.

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इंदौर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र महू, सांवेर, देपालपुर एवं हातोद के अधिकारी कर्मचारी 1 जून से नियमित समय से कार्यालय उपस्थित हों और कार्य करें . अगर किसी अधिकारी कर्मचारी का स्वास्थ खराब है तो उसे आवेदन के साथ चिकित्सा प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है . इस संबंध में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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बता दे कि इंदौर सहित पूरे प्रदेश के जिला एवं ग्रामीण अंचलों में कई अधिकारी-कर्मचारी महामारी की आड़ लेकर बेवजह घर बैठे हुए हैं . इसके कारण शासकीय कार्य में विलंब हो रहा है. 

हालांकि अब लापरवाही और बहाने बनाने वाले अफसरों और कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई है जो बेफिजूल का बहाना बनाकर ड्यूटी पर नही आए थे क्योंकि अब उन्हें उनका मेडिकल सार्टिफिकेट पेश करना होगा और प्रमाणित करना होगा कि वो बीमार थे.

 

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