इंदौर: पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा हलषष्ठी व्रत

Smart News Team, Last updated: Sun, 9th Aug 2020, 7:44 AM IST
  • भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म पर मनाया जाता है यह पर्व. महिलाओं ने कुश का पूजन कर महुआ व चने का बांटा प्रसाद
बलराम की पेंटिंग 

इंदौर। इंदौर में पुत्र की दीर्घायु के लिए रविवार को महिलाओं ने हलषष्ठी व्रत रखा. यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म पर मनाया जाता है.

भाद्रपद मास के षष्ठी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. उत्तर पश्चिम प्रदेशों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है गुजरात में इसे इसे राधन छठ तो अन्य प्रदेशों में इसे हलषष्ठी, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नीछठ, कमरछठ, ललही छठ आदि नामों से भी जाना जाता है.

भगवान भास्कर के उदय होते ही मंदिरों में घंट घड़ियाल बजने लगे. सुबह से ही महिलाएं मंदिरों में पूजन अर्चन करने लगी. इसके बाद मंदिरों में प्रति पुत्रों के हिसाब से 6 छोटे मिट्टी के बर्तन में अनाज या मेवा भरकर व्रती महिलाओं ने पूजा की.

मंदिरों या घरों में लगे कुश की पूजा शुरू हो गई. महिलाओं ने हर पुत्र की लंबी आयु के लिए कुश के 6 पत्तों की गांठ बांधी. पूजन अर्चन के बाद महिलाओं ने निराहार व्रत रखा.पूजन के बाद महिलाओं ने महुआ व चने का प्रसाद वितरित किया.

कड़े नियमों का पालन कर महिलाएं रखती है हलछठ व्रत

इस व्रत में महिलाएं कई नियमों का पालन करते हैं. हलछठ व्रत में गाय के दूध या दही का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

इसके अलावा गाय के दूध या दही का सेवन भी वर्जित माना गया है. इस दिन केवल भैंस के दूध या दही का सेवन ही किया जाता है.

इसके अलावा हल से जुते हुए खेत में उपजा हुआ कोई भी अन्न नहीं खाया जाता. घर के आंगन, द्वार, बेढ़ा या घर के आसपास उगे फल व सब्जियों का ही सेवन किया जाता है.

इस दिन महिलाएं प्राय: साग, हरी मिर्च, नींबू, तालाब में उगे तिन्नी के चावल आदि का सेवन करती हैं.

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