इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा- कोरोनाकाल में काम करवाया, अब कह रहे घर जाओ
- कोविड-19 में आवश्यकता पड़ने पर तीन माह की अस्थाई नौकरी का प्रस्ताव सरकार द्वारा दिया गया था, जिसमें पैरामेडिकल के छात्रों ने ज्वॉइन किया था. प्रतिमाह इनकी सेवा अवधि में वृद्धि की जा रही है. इनकी मांग है कि एक-एक महीने बढ़ाने के बजाय संविदा नियुक्ति कर दी जाए.
इंदौर. कोरोना काल में जान पर खेलकर मरीजों की सेवा में लगे स्वास्थ्यकर्मी और पैरामेडिकल स्टाफ को अब नौकरी जाने का डर सताने लगा है. गुरुवार को ये स्वास्थ्यकर्मी सड़क पर उतर आए. उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उनका कहना है कि उन्होंने कोरोना में ड्यूटी संभाली और अब सरकार कह रही है कि अपने घर जाओ. उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जडिया को नियमितीकरण की मांग करते हुए सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा है.
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि कोविड -19 चिकित्सा अधिकारी और स्टाफ (आयुष चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन) पिछले 8 महीनों से जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं. सरकार आवश्यकताओं के अनुसार हमारा अनुबंध घटा-बढ़ा रही है. उन्होंने जिन परिस्थितियों में सरकार का साथ दिया है, उन्हें ध्यान में रखते हुए उन्हें संविदा में लिया जाए. सरकार के स्वास्थ्य विभाग में पर्याप्त रिक्तियां हैं. इतने महीनों से काम करना और अब अचानक से बेरोजगार कर देना उचित नहीं है. उनकी प्राइवेट नौकरी और क्लिनिक भी छूट चुकी है.
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वहीं, मामले में सीएमएचओ डॉ. जडिया ने कहा कि इसमें डॉक्टर से लेकर स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन और फार्मासिस्ट कैडर के करीब 300 लोग हैं. कोविड-19 में आवश्यकता पड़ने पर तीन माह की अस्थाई नौकरी का प्रस्ताव सरकार द्वारा दिया गया था, जिसमें पैरामेडिकल के छात्रों ने ज्वॉइन किया था. इन्हें स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि कोविड काल के लिए ही उनकी ज्वाइनिंग हो रही है. अभी भी इन्हें निकाला नहीं गया है. प्रतिमाह इनकी सेवा अवधि में वृद्धि की जा रही है. इस माह भी 31 दिसंबर तक का आदेश हमें मिल चुका है. इनकी मांग है कि एक-एक महीने बढ़ाने के बजाय संविदा नियुक्ति कर दी जाए. इसी मांग को लेकर कल ज्ञापन दिया था. अभी इनके काम बंद करने की सूचना नहीं मिली है. जहां इनकी पोस्टिंग थी, वहीं से जानकारी मंगवाई गई है.
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