अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थी के बराबर नंबर पर आरक्षित वर्ग में रखा,PSC को नोटिस
- इंदौर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के पीएससी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है कि अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थी के बराबर नंबर लाने पर भी आरक्षित वर्ग में क्यों रखा ?
इंदौर. मंगलवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक पिटीशन की सुनवाई करते हुए पीएससी को नोटिस जारी कर पूछा है कि आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थी को अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थी के बराबर नंबर मिलने के बावजूद उसे आरक्षित वर्ग में क्यों रखा गया? संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 से लागू किए गए हैं तो फिर इन्हें 2019 की प्रवेश परीक्षा में कैसे लागू कर दिया गया? जस्टिस सुजॉय पॉल की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने पीएससी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
इसे लेकर किशोर चौधरी द्वारा सीनियर एडवोकेट रविंद्रसिंह छाबड़ा और एडवोकेट विभोर खंडेलवाल के माध्यम से पिटीशन दायर की गई है. इसमे कहा गया है कि याचिकाकर्ता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के परीक्षार्थी के रूप में राज्य सेवा प्रवेश परीक्षा 2019 में शामिल हुए थे। परीक्षा में उन्हें 144 अंक प्राप्त हुए. इस परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों के लिए कट ऑफ 146 अंक का था. आरक्षित वर्ग के जिन परीक्षार्थियों ने परीक्षा में 146 या इससे अधिक अंक प्राप्त किए थे, उन्हें अनारक्षित वर्ग में शामिल करने के बजाय पीएससी ने आरक्षित वर्ग में ही रखा. इसके चलते याचिकाकर्ता मुख्य परीक्षा के लिए पात्रता हासिल नहीं कर सके. इसे चुनौती देते हुए उन्होंने कोर्ट में पिटीशन दायर कर दी.
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मंगलवार को युगल पीठ के समक्ष इसकी सुनवाई हुई. एडवोकेट छाबड़ा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सेवा परीक्षा के संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 से लागू किए गए हैं, लेकिन पीएससी ने भूतलक्षी प्रभाव से इसे 2019 की प्रवेश परीक्षा में ही लागू कर दिया है, जबकि ऐसा नहीं किया जा सकता.
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