'इस उम्र में नींद नहीं आती तो सपने ही आते हैं, सपने देखने में बुराई क्या है'

Smart News Team, Last updated: Mon, 5th Oct 2020, 12:03 PM IST
  • कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जोशी को पार्टी हित में शक्ति प्रदर्शन के लिए कहा गया था. उन्होंने कमलनाथ पर तंज कसते हुए कहा कि उम्र बढ़ने पर नींद कम हो जाती है फिर रात में सपने ही आते हैं.
कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर। उपचुनाव को लेकर लगातार घमासान जारी है. हाल ही में कमलनाथ द्वारा दिए गए बयान पर कैलाश विजयवर्गीय ने तंज कसा हुआ है. दरअसल कुछ दिन पहले उपचुनाव को लेकर कमलनाथ सरकार ने कहा था कि आने वाले 35 दिनों के बाद मध्य प्रदेश में उनकी सरकार होगी. इसी बात पर तंज कसते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें नींद नहीं आने की की बीमारी बता डाली.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया.इस दौरान उन्होंने कमलनाथ को नींद नहीं आने की समस्या बता दी.साथ ही उन्होंने कहा कि कमलनाथ को सपने देखने दीजिए. दरअसल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब विजयवर्गीय से पूछा गया कि कमलनाथ ने 35 दिन बाद प्रदेश में सरकार बनाने का ऐलान किया है. कैलाश विजयवर्गीय से जब पूछा गया कि कमलनाथ ने कहा है कि 35 दिन बाद प्रदेश में हमारी सरकार होगी.

इस पर विजयवर्गीय ने कटाक्ष करते हुए कहा कि इस उम्र में नींद नहीं आती है तो आदमी सपने देखता है, सपने देखने में बुराई नहीं है. इस उम्र में आकर नींद कम हो जाती है, फिर रात में सपने आते हैं. वही उनके साथ यही हो रहा है. भाजपा की कुछ सीटों को लेकर ऊहापोह वाली स्थिति पर विजयवर्गीय ने कहा कि आज चुनाव कार्यसमिति की बैठक है, उसमें सब ठीक हो जाएगा. पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी के भोपाल में किए गए प्रदर्शन को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जोशी को पार्टी हित में कहा गया था शक्ति प्रदर्शन के लिए जिसके बाद उन्होंने शक्ति प्रदर्शन किया है.

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हाथरस की घटना बेहद निंदनीय है, लेकिन अब वहां पर कार्रवाई हो रही है. योगी की प्रशासनिक क्षमता पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है. उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं लेकिन इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. कृषि संशोधन बिल के पास होने के बाद एनडीए से अलग हुए अकाली दल को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कभी-कभी कार्यकर्ताओं और जनता के दबाव में निर्णय लेना पड़ते हैं लेकिन कृषि बिल को पढ़ा और समझा गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती.

वह बिल को अच्छी तरीके से समझते और डंके की चोट पर समझाते तो पंजाब के अंदर आंदोलन नहीं होता. नेता कभी-कभी फॉलोवर्स के दबाव में आ जाता है. नेतृत्व को कई बार कड़वे घूंट पीकर स्टैंड लेना चाहिए. 84 में दंगे हुए थे और जब सारा देश सिख समाज के विरोध में था, भाजपा ने स्टैंड लिया था कि सिख समाज हमारा ही हिस्सा है. हमने कभी चिंता नहीं की, समय-समय पर स्टैंड लिया, भले ही इसमें नुकसान हुआ.

भाजपा ने देश की चिंता की, मोदी जी कहते हैं कि कंट्री फर्स्ट, देश पहले और दल बाद में. लेकिन कुछ लोगों के लिए कुर्सी पहले होती है देश बाद में आता है. ऐसे लोगों को जनता ने संकुचित कर दिया गया. वही बंगाल को लेकर बोले कि ममता बनर्जी को 100 सीट भी नहीं आनी है. विधानसभा चुनाव में वह जनता के लिए नहीं अपनी पार्टी और कुर्सी को लेकर सोच रही हैं.

 

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