इंदौर: पत्नी ने निभाया जीवनसंगिनी का फर्ज,लिवर देकर पति को दिया नया जीवन
- इंदौर में प्रदेश का पहला लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। ट्रांसप्लांट के बाद अब प्रदेशवासियों को दिल्ली,मुम्बई और चैन्नई के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जिंदगी से जंग लड़ रहे पति को पत्नी ने सात फेरों का फर्ज निभाते हुए लिवर का एक हिस्सा दिया जिसका डॉक्टरों ने सफल ट्रांसप्लांट कर राचा इतिहास ।
_1596470475845_1596470529933.jpg)
इंदौर में प्रदेश का पहला लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है। इस ट्रांसप्लांट के बाद अब प्रदेशवासियों को दिल्ली,मुम्बई और चैन्नई के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इंदौर के एक अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ रहे पति को पत्नी ने सात फेरों की कसम का फर्ज निभाते हुए लिवर का एक हिस्सा दिया जिसका डॉक्टरों ने सफल ट्रांसप्लांट कर इतिहास रच दिया है।
कहते है कि जब दुख आते है तो हर कोई साथ जोड़ जाता है। अपने भी पराये सा व्यवहार करने लगते है। लेकिन जब सुहाग के जीवन आती है तो पत्नी ही पति का साथ निभाती है और आज हम आपकों एक ऐसी पत्नी की खबर दिखाने जा रहे है जिसने जिंदगी से जंग लड़ रहे पति को अपने लिवर का 575 ग्राम का हिस्सा देकर नया जीवन दिया है।
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि तेजसिंह मेवाड़ा के पेट मे पानी भरने की अक्सर समस्या रहती थी जिसके चलते दवाओं का असर नहीं हो रहा थ। लगातार प्रयासों के बाद जब कोई सफलता नहीं मिली तो डॉक्टरों ने तेजसिंह के लिवर ट्रांसप्लांट का फैसला किया। इसके बाद तेजसिंह की पत्नी लाड़ कुंवर अपने पति का जीवन बचाने के लिए लिवर डोनेट करने का फैसला लिया। दरअसल इंदौर के सीएचएल अस्पताल में 16 जुलाई को एक लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है। जो मध्यप्रदेश के इतिहास का पहला लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट होने का दावा किया जा रहा है। अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि अब तक कैडेबर ऑर्गन डोनेशन के जरिये किसी मृतक का ऑर्गन लेकर मरीज को लगाया जाता था लेकिन लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट के जरिये ये सम्भव हो सका है कि किसी जीवित व्यक्ति के अंग का उपयोग किया गया है।
16 जुलाई को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सर्जरी की गई जिसमे पत्नी लाड कुंवर के लिवर से 575 ग्राम हिस्सा निकाला गया, डॉक्टरों ने दावा किया कि यह 6 हफ्ते में रीजनरेट भी हो जाएगा। तेज सिंह के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने पेट से 10 लीटर पानी निकाला । सीएचएल अस्पताल के चेयरमैन डॉ. राजेश भार्गव ने बताया कि मध्यप्रदेश के किसी अस्पताल में पहली बार इस तरह का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है। जिसका अब पूरा लाभ इस तरह के प्रदेश में अन्य मरीजों को भी मिलेगा और लिवर ट्रांसप्लांट के लिए अन्य राज्यों व उनके शहरों के बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आपकों बता दे कि कुछ साल पहले इसी तरह का लिवर ट्रांसप्लांट इंदौर के कमाठीपुरा निवासी एक मां ने अपने लिवर का एक हिस्सा बच्चे को दिया था और यह लीवर ट्रांसप्लांट दिल्ली में हुआ था । इस मामले के 3 साल गुजर जाने के बाद अब तक मां और बेटे पूरी तरह आज भी स्वस्थ है और डॉक्टर यहीं उम्मीद जता जा रहे है कि पति-पत्नी दोनों पूर्ण स्वस्थ होकर परिवार सम्भालेंगे।
अन्य खबरें
हाइकोर्ट की अनोखी शर्त,छेड़छाड़ पीड़िता को बहन बोलकर आरोपी को बंधवानी होगी राखी
पुलिस बर्बरता का शिकार हुआ व्यापारी पुलिस जवान पर की निलम्बित कराने की कार्यवाही
परंपरा मे बाधा नही कोरोना- खजराना गणेश को रत्न जड़ित राखी बांधेंगे पालरेचा बंधु