इंदौर स्थापना दिवस कब मनाएं! आज होगा फैसला, तय करेंगे जनप्रतिनिधि व इतिहासकार
- इंदौर के स्थापना दिवस को लेकर चल रहे विरोधाभास को लेकर एक राय बनाने के लिए राज्य सरकार विराम लगाने जा रही है. 12 फरवरी को इसके लिए इंदौर की संस्कृति और इतिहास के आधार पर इंदौर के स्थापना दिवस की तारीख और इसका इतिहास से संबंध तय करने के लिए एक बैठक रखी गई है. बता दें कि बैठक में जिले और शहर के प्रमुख जनप्रतिनिधि, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता, प्रबुद्धजनों आदि को आमंत्रित किया गया है.

इंदौर. इंदौर के स्थापना दिवस को लेकर चल रहे विरोधाभास को लेकर एक राय बनाने के लिए राज्य सरकार विराम लगाने जा रही है. 12 फरवरी को इसके लिए इंदौर की संस्कृति और इतिहास के आधार पर इंदौर के स्थापना दिवस की तारीख और इसका इतिहास से संबंध तय करने के लिए एक बैठक रखी गई है. बता दें कि बैठक में जिले और शहर के प्रमुख जनप्रतिनिधि, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता, प्रबुद्धजनों आदि को आमंत्रित किया गया है. वहीं 31 मई को अहिल्याबाई होलकर की मनाई जाने वाली जयंती अब इंदौर का जन्मदिन होगी. इस दिन को इंदौर गौरव दिवस के रूप में मनाने को लेकर सर्वसम्मति बन सकती है.
इंदौर के स्थापना दिवस को लेकर सुझाव और सहमति के लिए बुलाई जाने वाली बैठक में प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, जिले के सभी विधायक, सभी प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहासकार और अन्य जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया है. संभागायुक्त डा. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि इंदौर के स्थापना दिवस के बारे में तय करने के लिए ही शनिवार को शाम 5.30 बजे सिटी बस कार्यालय में बैठक बुलाई गई है.
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होलकर शासनकाल में इंदौर का वैभवकाल
अहिल्याबाई होलकर वंश की शासक रही हैं और उन्होंने 1767 से 1795 तक इंदौर और मालवा प्रांत में शासन किया है. साथ ही उन्होंने महेश्वर को भी अपनी अस्थायी राजधानी बनाया. अपने शासनकाल में उन्होंने मालवा और निमाड़ में तो जनता के लिए कई कल्याणकारी कार्य किए ही, देश के बारह ज्योर्तिलिंगों, चार धामों सहित प्रमुख देव स्थानों पर भी श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला, मंदिर और अन्य निर्माण कार्य किए. उन्होंने मनुष्यों के अलावा जानवरों और पक्षियों का भी ध्यान रखते हुए मालवा के जंगलों में भी कई तालाब, जलाशय और बावड़ियों का निर्माण कराया. मालवा और निमाड़ के जनमानस में अहिल्याबाई के व्यक्तित्व और कृतित्व को आदर से देखा जाता है.
मालव क्षेत्र में आर्य, द्रविड़, मगध, माैर्य, शक, कलचुरि, गुर्जर व प्रतिहार, परमार और मुगल शासकों का भी राज्य रहा है. वर्ष 1728 से 16 जून 1948 तक इंदौर में होलकरों का शासन रहा. इसी दौरान इंदौर का वैभवकाल शुरू हुआ. इंदौर में सबसे पुराने बड़ा रावला के जमींदार परिवार का दावा है कि इंदौर का स्थापना दिवस तीन मार्च है. मंडलोई परिवार के वरदराज मंडलोई का कहना है कि हम तो 2015 से तीन मार्च को इंदौर का स्थापना दिवस मनाते आ रहे हैं.
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