शिवराज सरकार को हाईकोर्ट से झटका, MP में 27 फीसदी OBC आरक्षण पर लगाई रोक

Nawab Ali, Last updated: Wed, 1st Sep 2021, 10:30 PM IST
  • मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से ओबीसी आरक्षण पर शिराज सिंह चौहान को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने की रोक को हटाने से इंकार कर दिया है. सरकार द्वारा कोर्ट में 6 याचिका ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत किये जाने को लेकर लगाई गई थी.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

इंदौर. मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज चौहान सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शिवराज चौहान सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने को लेकर कोर्ट द्वारा लगी रोक हटाने के लिए 6 याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने वाली रोक को हटाने से इंकार कर दिया है. मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश के शुक्ला की युगलपीठ ने आरक्षण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया है याचिका की अंतिम सुनवाई 20 सितंबर के लिए भी आदेश जारी कर दिए हैं. 

मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत किये जाने के लिए हाईकोर्ट में 6 याचिका दायर की थी. आरक्षण बढ़ाने के को लेकर याचिकाओं के विरुद्ध याचिका दायर की गई. जिसमें कहा गया था की ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने की रोक को हटाया जाए. जिसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए रोक को हटाने से इंकार कर दिय है. अशिता दुबे ने सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण बढ़ाने वाली याचिकाओं के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने पीएससी की चयन सूची में 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम फैसला 19 मार्च 2019 को दिए थे.

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 सरकार द्वारा 6 याचिकाओं में कहा गया है कि प्रदेश में 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। ओबीसी, एसटी, एससी वर्ग की आबादी कुल 87 प्रतिशत है. ओबीसी वर्ग के व्यक्तियों का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व, रहन-सहन की स्थिति आदि के अध्ययन के लिए एक आयोग का गठन किया गया था. आयोग की रिपोर्ट तथा आबादी के अनुसार सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू करने का निर्णय लिया है. सरकार की याचिकाओं का विरोध करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के साल 1993 में इंदिरा साहनी और साल 2021 के मराठा आरक्षण पर दिए गए फैसला जिसमें कहा गया था कि जाति जनगणना के अधर पर आरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता का हवाला दिया.

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जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम फैसला देते हुए खारिज कर दिया. साथ ही युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अलग से सुनवाई करने का फैसला लिया है. ओबोसी आरक्षण के खिलाफ याचिकाओं पर आदित्य संघी और सरकार की की पैरवी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने की.

 

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