परंपरा मे बाधा नही कोरोना- खजराना गणेश को रत्न जड़ित राखी बांधेंगे पालरेचा बंधु
- कोरोना को दरकिनार कर शहर के रहने वाले पालरेचा बंधु रक्षाबंधन पर सालों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए खजराना गणेश को अष्टधातु व हीरे-मोती रत्न जड़ित भगवान सूर्यनारायण की राखी भेंट करेंगे।

इंदौर। देश मे तेजी से बढ़ रहे कोरोना महामारी प्रकोप के बीच बेशक भगवान और भक्त के बीच दूरी बन गई हो। लेकिन आस्था अभी भी है ,और यहीं आस्था है कि कोरोना महामारी को दरकिनार कर शहर के रहने वाले पालरेचा बंधु रक्षाबंधन पर सालों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए खजराना गणेश को अष्टधातु व हीरे-मोती रत्न जड़ित भगवान सूर्यनारायण की राखी भेंट करेंगे। दो महीने में बनकर तैयार हुई, इस राखी को 12 लोगों ने मिलकर आकर दिया है।पालरेचा बंधुओ के मुताबिक इस राखी को भेंट करने का मकसद देश मे फैल रही कोरोना महामारी के प्रति लोगो को जागरूक करना है। कि जिस तरह अंधेरे के बाद प्रकाश होता है ,उसी प्रकार देश से एक दिन ये कोरोना महामारी भी समाप्त होगी और देश की आर्थिक स्तिथि फिर से मजबूत हो जाएगी।
अष्टधातु व रत्न जड़ित राखी में 12 ज्योतिर्लिंग में दिखेंगे भगवान सूर्यनारायण
पालरेचा बंधुओ द्वारा भगवान खजराना गणेश को भेंट की जाने वाली यह राखी बेहद ख़ास है। इस राखी को बनाने में सोने-चांदी, हीरे-मोती और रत्नों का इस्तेमाल हुआ है। वही इस राखी में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की आकृतियां भी बनाई गई है। और इन सभी आकृतियों में भगवान सूर्यनारायण को दर्शाया गया है। जबकि किरणों के लिए जरी का इस्तेमाल किया गया है। जो इस राखी को काफी मनमोहक बनाता है।
परिवार के 5 वर्ष के बच्चे से लेकर 55 वर्ष के बुज़ुर्ग ने राखी आकार देकर दो महीनों में की तैयार
भगवान खजराना गणेश को भेंट की जाने वाली इस राखी को बड़ी श्रद्धाभाव और आस्था से बनाया गया है। और पालरेचा परिवार का चाहे 5 वर्ष का बच्चा हो या फिर 55 साल का बुजुर्ग सबने अपने- अपने हाथों से आकर देकर तैयार किया है। और राखी को बनाने के लिए प्रत्येक सदस्य ने 3 - 3 घण्टे का समय दिया है। 2 महीने के अंदर इस राखी को तैयार कर लिया गया है। जिसे अब पूजरी के माध्यम से भगवान को भेंट करेंगे।
18 सालों से चली आ रही है पालरेचा परिवार की परंपरा, अलग -अलग मंदिरों में भी चढ़ाई जाएगी राखी
शान्तु पालरेचा के मुताबिक 18 सालों से उनके परिवार में भगवान खजराना गणेश को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।इसके अलावा भी उनका परिवार अन्य मन्दिरो में भी राखी बांधता है। जिनमे पंचकुइयां स्तिथ वीर बगीची, महाकाल उज्जैन मंदिर, मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर, बड़ा गणपति मंदिर, शामिल है। इसके अलावा शहर के अन्य मन्दिरों में भी राखियां भेंट की जाती है।स बार कोरोना महामारी के प्रति जागरूक करने को लेकर है राखी
शहर के पालरेंचा बंधु पुण्डरीक व शान्तु पालरेचा के मुताबिक इस बार की राखी देश में फैल रही कोरोना महामारी के प्रति लोगों को जागरूक करने को लेकर है और लोगों के लिए संदेश है कि जिस प्रकार हर अंधेरे के बाद उजाला होता है उसी तरीके से एक दिन देश से कोरोना महामारी समाप्त हो जाएगी और फिर से हमारा देश और हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत बन जाएगी