इंदौर के मेडिकल कॉलेज व मिलेट्री अस्पताल में लगा प्लाज्मा डोनेशन कैंप
- कोरोना से लड़ाई के लिए सामने आई सेना, 32 सैनिकों ने प्लाज्मा दिया. इंदौर के मेडिकल कॉलेज और मुहू के मिलिट्री अस्पताल ने प्लाज्मा डोनेशन कैंप लगाया है.
इंदौर। मुहू के मिलिट्री अस्पताल में सेना के जवानों ने प्लाज्मा दान दिया. शहर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए सेना के जवानों ने इसके रोकथाम की जिम्मेदारी ली. सेना के जवानों ने आगे बढ़कर प्लाज्मा दान किया जिसमें सैनिक से लेकर ब्रिगेडियर रैंक के अफसरों ने प्लाज्मा दान किया.
लेफ्टिनेंट जनरल पीएस मिन्हास और संभागायुक्त पवन शर्मा ने कैंप का शुभारंभ किया. कोरोना की जंग जीत कर हजारों की संख्या में मरीज ठीक हो चुके हैं.
इनमें से सेना के जवान भी शामिल थे. कोरोना से सेना के कई जवान भी संक्रमित पाए गए थे जिसके बाद उन्होंने कोरोना की जंग जीत ली. देश की रक्षा करने वाले सेना के जवानों ने अब देश के अंदर भी रक्षा किए जाने का वचन लिया. इस दौरान उन्होंने प्लाज्मा डोनेशन कर हजारों लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने का संकल्प लिया. इसी कड़ी में सेना के जवानों ने प्लाजमा डोनेशन किया.महू के मिलिट्री अस्पताल में सेना के जवानों ने प्लाज्मा दान किया.
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सैनिक से लेकर ब्रिगेडियर रैंक के अफसर तक, सभी ने दान किया
प्लाज्मा डोनेशन के लिए 5 एफेरेसिस मशीन मंगवाई गई थी. ब्लड बैंक के डायरेक्टर डॉ. अशोक यादव ने बताया कि अब तक 1 दिन में इकट्ठा होने वाला यह सर्वाधिक प्लाज्मा कलेक्शन है. एक प्लाज्मा यूनिट से हम दो-तीन कोविड-19 संक्रमित मरीजों की जान बचा पाएंगे. हमें ए और एबी ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा भी मिला है पिछले कई दिनों से मिलने में परेशानी आ रही थी.
कोरोना समस्या नहीं प्रकृति का समाधान है : वांगचुक
कोरोना महामारी नहीं, ये प्रकृति की समस्याओं का समाधान है. हम जिसे विकास कहते हैं वो वास्तव में प्रकृति का विनाश है. वाइल्ड लाइफ फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि पिछले पचास सालों में धरती का 52 फीसदी वाइल्ड लाइफ खत्म हो गया. यही स्थिति जंगल की भी है. प्रकृति ने संसाधन करोड़ों साल में तैयार किए, हमारे विकास ने उसे पचास साल में खत्म कर दिया.
इनोवेशन के साथ शिक्षा के सुधार के लिए काम करने वाले ख्याति इंजीनियर सोनम वांगचुक ने ये बातें आईआईएम और आईआईटी द्वारा आयोजित आई 5 समिट के पैनल डिस्कशन में शनिवार को कही.
जानवर शायद मनुष्यों की वैक्सीन खोज रहे होंगे
आज हमारी सबसे बड़ी चिंता कोरोना की वैक्सीन है, क्योंकि हमारी जनसंख्या के दो फीसदी लोग इसकी वजह से मर रहे हैं. हमने जंगल में रहने वाले हाथी, हिरण सहित अन्य जानवरों की आधी आबादी खत्म कर दी है. वे तो शायद सालों से मनुष्यों के लिए वैक्सीन खोज रहे होंगे ताकि हमसे बच सकें. हमें इस अंधी दौड़ के बारे में सोचना होगा.
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