MP में ‘राजाराम से वनवासी राम’ के जीवन पर होगी अनोखी परीक्षा, जीतने वाले को फ्री में प्लेन से अयोध्या दर्शन
- मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार लगातार भगवान श्रीराम के सहारे अपनी राजनीति मजबूत करने में लगी है. प्रदेश की शिवराज सरकार ने पहले श्रीराम की कथा रामचरितमानस को पाठ्यक्रम में शामिल किया था. जिसके बाद अब प्रदेश का संस्कृति विभाग श्रीराम के नाम पर परीक्षा करवाने जा रहा है.

इंदौर. भाजपा लगातार अपने हिंदुत्व के मुद्दे को मजबूत करने में लगी है. इसके लिए प्रदेश की शिवराज सरकार कोई कोर कसर छोड़ने वाली नहीं है. पहले सरकार ने श्रीराम चरित मानस को कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल करवाया था. जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था, लेकिन अभी वो मामला शांत नहीं हुआ कि शिवराज सरकार अब श्रीराम के नाम पर प्रदेश भर में परीक्षा करवाने जा रही है. इस परीक्षा में जीतने वाले को सरकार अयोध्या स्थित रामलला के दर्शन अपने खर्च में करवाएगी.
संस्कृति विभाग तीन चरणों में आयोजित करेगा एग्जाम
श्रीराम के नाम पर प्रदेश का संस्कृति विभाग परीक्षा का आयोजन पूरे प्रदेश में करेगा. इस परीक्षा में तीन चरण होंगे. जिसमें पहले जिला, फिर संभाग और अंत में प्रदेश स्तर पर परीक्षा होगी. राजा राम से वनवासी राम नाम से आयोजित इस परीक्षा में बच्चों से अयोध्या कांड से जुड़े बहुविकल्पीय सवाल पूछे जाएंगे.
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विजेता फ्लाइट से जाएगा अयोध्या
इस परीक्षा में जो भी विजेता होगा उसको सरकार अपने खर्च से अयोध्या की यात्रा कराएगी. उसे अयोध्या जाने के लिए उसके गृह नगर से अयोध्या तक का फ्लाइट का टिकट दिया जाएगा. साथ ही अयोध्या आने जाने से लेकर वहां रूकने तक की सभी व्यवस्था सरकार अपने खर्च से कराएगी.
परीक्षा का उद्देश्य नई पीढ़ी तक पहुंचे राम के नैतिक मूल्य
तुलसी मानस प्रतिष्ठान के अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने बताया कि इस परीक्षा का मुख्य उद्देश्य यह है कि नई पीढ़ी तक राजा राम के नैतिक मूल्य व मर्यादा की सीख पहुंच सके. इसके लिए इस परीक्षा के माध्यम से इन सीख से नई पीढ़ी को जोड़ा जाएगा. इस परीक्षा में श्रीराम के अयोध्या कांड से जुड़े ही प्रश्न पूछे जाएंगे. साथ ही परीक्षा के अलावा राजाराम पर एक गोष्ठी भी आयोजित की जाएगी.
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बता दें कि प्रदेश में कॉलेज के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस को शामिल किए जाने के बाद से लगातार विपक्ष भाजपा सरकार को घेर रहा है. उसके बाद अब इस फैसले से विपक्ष का विरोध और बढ़ सकता है, लेकिन इससे साफ नजर आ रहा है कि सरकार हिंदुत्व के मुद्दे को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने देना चाहती है.
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