इंदौर: लाखों के पैकेज छोड़ पकड़ी वैराग्य की राह, 300 लोगों ने अपनाया साधु जीवन
- दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य विद्यासागर महाराज जी का देशभर में 75वां अवतरण दिवस शनिवार को बेहद ही धूमधाम से मनाया जाएगा.
इंदौर: दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य विद्यासागर महाराज जी का देशभर में 75वां अवतरण दिवस बेहद ही धूमधाम से मनाया जाएगा. बता दें, शनिवार को विद्यासागर महाराज जी के अवतरण दिवस को लेकर देशभर में काफी उत्साह है. महाराज जी का सानिध्य पाकर कईं लोगों ने ऊंचे ओहदे और लाखों के पैकेज वाली नौकरियां छोड़ वैराग्य की राह पकड़ी है. इसमें पुलिस विभाग में डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर समेत बड़ी कंपनियों में कार्यरत व्यवसायी भी शामिल हैं.
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बता दें, विद्यासागर जी महाराज अब तक 300 लोगों को दीक्षा दे चुके हैं. महाराज जी के बारे में उनके निकटस्थ ब्रह्मचारी सुनील भैया बताते है कि आचार्यश्री का जन्म कर्नाटक राज्य के सदलगा के समीप स्थित चिक्कोड़ी गांव में वर्ष 1946 में हुआ था. आचार्यश्री का पूर्व का नाम विद्याधर जैन अष्टगे था. वर्ष 1967 में आचार्य श्री देशभूषण महाराज से ब्रह्मचार्य व्रत लिया. उन्होंने 30 जून 1968 को आचार्य ज्ञानसागर महाराज से दीक्षा ली. इसके बाद 22 नवंबर 1972 को आचार्य बने थे. खास बात यह है कि आचार्यश्री के माता-पिता सहित दो भाई और दो बहनें भी गृहस्थी को त्याग कर दीक्षा ले चुके हैं.
इतना ही नहीं आचार्य जी ने भाषा की शुद्धता को लेकर भी अभियान छेड़ा है. उन्होंने कई ग्रंथ भी लिखे हैं. इसमें 'मूकमाटी, नर्मदा का नरम कंकर, डुबो मत लगाओ डुबकी, तोता क्यूं रोता? चेतना के गहराव में' आदि शामिल है. इसके अलावा संस्कृत , कन्नड़, बांग्ला सहित अन्य भाषा में भी आचार्यश्री ने ग्रंथ लिखे हैं.
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