Ahoi Ashtami 2021: तारों को देखकर खोला जाता है व्रत, जानिए अहोई अष्टमी व्रत की पूरी कथा

Deepakshi Sharma, Last updated: Thu, 28th Oct 2021, 12:08 AM IST
  • करवा चौथ के चार दिन बाद ही अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. ये व्रत तारों को देखकर खोला जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए रखती हैं, लेकिन बिना व्रत की कथा पढ़े महिलाओं का ये व्रत अधूरा माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की व्रत कथा.
अहोई अष्टमी पर पढ़िए व्रत कथा

करवा चौथ के चार दिन बाद ही और दिवाली से 8 दिन पहले महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. यह व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए रखते हैं. ऐसा कहा जाता है कि अहोई अष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है. यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को पड़ता है. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत कल यानी 28 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है. इस व्रत को महिलाएं तारों को देखकर खोलती हैं. आइए जानते क्या है अहोई अष्टमी व्रत की पूरी कथा.

हिंदू धर्म में प्रसिद्ध एक कथा के मुताबिक एक साहुकार के सात बेटे और एक बेटी थी. सातों पुत्रों की शादी हो चुकी थी. दीवाली मनाने के लिए साहुकार की बेटी घर पर आई हुई थी. दिपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुओं के साथ बेटी मिट्टी लाने जंगल में निकल गई. साहूकार की बेटी जिस जगह से मिट्टी निकाल रही थी वहां खुरपी की धार से स्याहू का एक बेटा मर गया था. स्याहू इस बात से रोने लगी और गुस्से में आकर बोली मै तुम्हारी कोख बांधूंगी.

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इस बात को सुनकर वो घबरा गई और उसने अपनी सातों भाभियों को एक-एक करके उसके बदले में कोख बंधवाने को कहा. सबसे छोटी वाली बहू को अपनी ननद का दर्द न देखा गया और वो अपनी कोख बंधवान के लिए तैयार हो गई. इस घटना के बाद उसके जो बच्चे होते वो सातवें दिन ही मर जाते. ऐसे करते-करते छोटी बहू के सात बेटों की मृत्यू हो गई. अपने साथ ऐसा बार-बार होता देख उसने पंडित को बुलवाकर इसकी वजह पूछी. पंडित ने हल बताते हुए सलाह दी कि वह सुरभि गाय की सेवा करें.

छोटी बहू ने सुरभि की सेवा की और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सुरभि गाय उसे स्याहु के पास ले गई, जिसने उसे श्राप दिया था. स्याहु के घर जाते हुए रास्ते में छोटी बहू आराम के लिए रुकती है. अचानक वह देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. वह सांप को मार देती है, लेकिन गरुड़ पंखनी को खून देख गलती से लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे की हत्या कर दी है. वह गुस्से में आकर कुछ बोलती इससे पहले उसे बताया जाता है कि उसने सांप को मारकर बच्चे की जान बचाई. गुरुड़ पंखनी इस बात पर प्रसन्न होकर छोटी बहू को स्याहु के पास पहुंचा देती है.

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स्याहु छोटी बहू की सेवा से खुश होकर उसे सात पुत्र और सात बहू का आशीर्वाद देती है. इसके बाद छोटी बहू से घर फिर कभी पुत्र की असमय मृत्यू नहीं होती और हमेशा के लिए उसका घर हरा-भरा हो जाता है.

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