एमएड को लेकर उदासीनता, पहले चरण की काउंसिलिंग में सिर्फ 10 फीसद सीटों पर प्रवेश

Smart News Team, Last updated: Tue, 1st Sep 2020, 10:33 PM IST
  • इंदौर. घटते परिणाम और हर साल कोर्स को लेकर बनाए जाने वाले नियमों से विद्यार्थियों का रुझान घटा. कई कॉलेजों ने बंद किया एमएड कोर्स.
प्रतीकात्मक तस्वीर 

इंदौर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन काउंसिलिंग के पहले चरण की जारी की गई प्रवेश सूची में एमएड कोर्स में मात्र 10 फीसद सीटें ही भर पाई हैं. हर साल की तरह इस बार भी एमएड में काफी कम पंजीयन हुए हैं. प्रदेशभर में एमएड कोर्स संचालित करने वाले 59 कॉलेज हैं, जिसमें करीब 2950 सीटें उपलब्‍ध हैं.

आवेदन के बाद दस्तावेज सत्यापन कराने वाले 485 विद्यार्थियों को कॉलेज आवंटित हुए, लेकिन प्रवेश 299 विद्यार्थियों ने ही लिया है. दूसरे चरण में 2651 पर दाखिले के लिए आवेदन बुलाए जा रहे हैं. इसके लिए मंगलवार को पंजीयन का अंतिम दिन था.

एमएड को लेकर विद्यार्थियों की रुचि कम होने के पीछे असली वजह उसका परिणाम है. कई साल से एमएड का परिणाम केवल 7 से 10 फीसद के बीच आता है. इसके चलते विद्यार्थी एमएड करने के लिए अन्य राज्यों की तरफ रुख करने लगे हैं. 59 में से इंदौर में चार कॉलेजों में एमएड कोर्स संचालित होता है. पहले चरण की काउंसिलिंग होने के बाद यहां के दो कॉलेजों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है.

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का स्कूल ऑफ एजुकेशन में छह और एमबी खालसा कॉलेज में दो विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ है. मालवांचल शिक्षा महाविद्यालय संघ के पदाधिकारी गिरधर नागर और अवधेश दवे का कहना है कि काउंसिलिंग के पहले चरण में पंजीयन करने में दो दिन तक काफी परेशानी हुई. इससे कई विद्यार्थी आवेदन नहीं कर सके. संघ के कमल हिरानी का कहना है कि कोर्स को लेकर हर साल नए नियम बनाए जा रहे हैं. इससे कई कॉलेजों ने एमएड कोर्स बंद कर दिया है.

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