इंदौर: कोरोना संक्रमित मरीजों के शव शमशान तक ले जाने में अवैध वसूली
- मृतकों के परिजनों के नंबर पर फोन लगाकर उन्हें बुलाया जाता है. फिर शव को एंबुलेंस में रखने, शमशान तक छोड़ने और अंतिम संस्कार करने के लिए 8 से 10 हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं.
इंदौर। कोरोना संक्रमण काल में जहां एक तरफ लोग कोरोना से अपने परिजनों को खो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग द्वारा मृतक के परिजनों से अतिरिक्त धन उगाही की जा रही है. दरअसल कोरोना के चलते मौत का शिकार हुए लोगों के परिजनों से डेड बॉडी को एंबुलेंस में रखने, शमशान पहुंचाने व बॉडी को पीपीई किट में दफन करने के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है. परिजनों से इसके नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है. इसकी शिकायत एक अधिवक्ता उमेश कुमार यादव ने यह शिकायत संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से की है.
आपको बता दें कि कोरोना संक्रमित मरीजों के शव मुक्तिधाम तक पहुंचाने के लिए परिजनों को अधिक राशि चुकानी पड़ रही है. अधिवक्ता परिषद के मालवा प्रांत अध्यक्ष अभिभाषक उमेश कुमार यादव ने यह शिकायत संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से की है. यादव ने पत्र लिखा है कि कोरोना जैसी महामारी में कुछ लोगों ने इसे धंधा भी बना लिया है.
एमआरटीबी अस्पताल, सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल व एमटीएच अस्पताल में मरीजों के इलाज की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है. इलाज के दौरान मृत्यु होने पर उनका शव एमवाय अस्पताल के पोस्टमार्टम विभाग में भेजा जाता है.
वहां से शासन के निर्देश पर सुरक्षा की दृष्टि से शव को लेकर एंबुलेंस से श्मशान भेजा जा रहा है. यह काम करने वाले एंबुलेंस चालक शव उठाने को लेकर मनमानी वसूली कर रहे हैं.
फोन लगाकर परिजनों को बुलाया जाता है अस्पताल, फिर वसूली जाती है मोटी रकम
एडवोकेट उमेश कुमार यादव के अनुसार मृतकों के स्वजन के नंबर पर फोन लगाकर उन्हें बुलाया जाता है. इसके बाद शव को एंबुलेंस में रखने, श्मशान तक छोड़ने और अंतिम संस्कार करने के लिए 8 से 10 हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं. जानकारी नहीं होने के चलते मजबूरन पीड़ित परिवार यह रकम किसी तरह जुगत करके चुकाते हैं.कुछ लोग तो कर्ज लेकर इसकी अदायगी कर रहे हैं.
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मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. ज्योति बिंदल ने बताया कि घटना की जानकारी हुई है. इसके लिए कमेटी गठित कर उक्त प्रकरण की जांच कराई जाएगी. दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
6 माह पहले होनी चाहिए थी व्यवस्था
लगभग 6 माह पहले मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एमवाय अस्पताल से शव ले जाने के लिए अस्पताल के काउंटर से ही बुकिंग करने का निर्णय लिया था जिससे इस तरह की मनमानी वसूली पर रोक लगाई जा सके, लेकिन अभी तक इसकी व्यवस्था नहीं हो पाई है. जिसके चलते अस्पताल के दलाल व अन्य गिरोह परिजनों से मोटी कमाई कर रहे हैं. जानकारी नहीं होने के चलते पीड़ित परिवार मजबूरन रकम भरते हैं.
पीपीई किट के मांगे एक-एक हजार
उमेश यादव ने बताया कि 25 सितंबर को अशोक नगर एयरपोर्ट रोड पर रहने वाले उनके भांजे की मौत कोरोना से हुई थी. 26 तारीख को सुबह फोन आया और एमवाय अस्पताल में बुलाया गया. वहां पहुंचने पर बताया गया कि 700 रुपये शमशान तक ले जाने के लगेंगे. इसके अलावा तीन पीपीई किट के 3 हजार रुपये और दो मजदूरों के 6000 रुपये भी मांगे गए. कुल मिलाकर 10 हजार रुपये परिजनों से लिए गए.
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