इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों की संख्या हुई कम

Smart News Team, Last updated: Mon, 17th May 2021, 3:30 PM IST
  • इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में नॉन कोविड पेशेंट की संख्या में आई कमी, मार्च माह से लेकर अब तक अन्य बीमारियों का इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में 65 फीसदी तक आई कमी जिसकी प्रमुख वजह कोरोना की दूसरी लहर को माना जा रहा है.
प्रतिकात्मक तस्वीर 

इंदौर. मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एम.वाय. स्थित है. जहां आम दिनों में हर रोज 2 से ढाई हजार मरीज अल -अलग बीमारियों के इलाज के लिए न सिर्फ इंदौर बल्कि दूर दराज के क्षेत्रों से आते थे. लेकिन मार्च माह में जैसे ही कोविड कि दूसरी लहर ने जोर पकड़ा वैसे ही यहां अन्य बीमारियों का इलाज करवाने आने वालो मरीजो की संख्या में दिनों दिन कमी देखी जा रही है.

 

दरअसल, यहां सिर्फ इंदौर जिले से ही नही बल्कि अन्य संभागों के अलग अलग जिलों जैसे उज्जैन, देवास, हरदा, आगर, झाबुआ, खंडवा, बुराहनपुर, धार, रतलाम, मंदसौर, जावरा जैसे स्थानों से लोग इलाज के लिए आते थे. खास तौर पर ग्रामीण इलाककों और गरीबों के लिए ये अस्पताल किसी संजीवनी के समान है. यहाँ उच्च स्तरीय डॉक्टर्स की टीम लोगो को बेहद आसानी से मिल जाती है और उन्हें बेहतर इलाज मिलता है. कई बार तो यहां कठिन से कठिन ऑपरेशन कर लोगो की जान बचाने के मामले सामने आए है. वही इन दिनों कोविड की दूसरी लहर के घातक कहर का असर एम.वाय. पर भी देखने को मिला है. यहां नॉन कोविड मरीज़ों की संख्या 65 फीसदी तक घट गई है. ज्यादातर ग्रामीण आते थे, लेकिन अब वे कोविड से परेशान हैं. सामान्य और मध्यम गंभीर बीमारी के मरीज तो आना बंद ही हो गए हैं. पाइल्स, हनिँया, स्टोन जैसी कई बीमारियो के न तो आ रहे है और ना ही ऑपरेशन करवा रहे हैं. ऐसे में यहां आने वालों की संख्या तेजी से घट गई है.

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इसी के चलते यहां भरी रहने वाली ओपीडी में इमरजेंसी और भर्ती होने के लिए हर रोज दो से ढाई हजार मरीज आते थे लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 500 से 700 के बीच रह गई है.ट्रामा सेंटर से लेकर ओपीडी तक मे ये ही स्थिति बनी हुई है जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि कोरोना वायरस नामक अदृश्य वायरस जिसके ख्याल भर से ही मरीज अन्य बीमारियों को उसकी तुलना में कमजोर मान रहे है. फिलहाल, इंदौर के निजी अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर्स और सुपर स्पेशलिटी सेंटर में कोविड मरीजो का जबर्दस्त दबाव है ऐसे में आने वाले समय मे भी एम.वाय. मरीजो की संख्या इसी तरह से बनी रहने की संभावना है.

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