इंदौर: खनन घोटाले में कमिश्नर ने प्रदीप खन्ना को किया था सस्पेंड
- प्रदीप खन्ना करीब 5 साल तक इंदौर में जिला खनिज अधिकारी के रूप में रहा तैनात. 34 साल के कार्यकाल में 6 बार हो चुका है प्रदीप खन्ना निलंबित. वर्ष 1986 में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में हुई थी प्रदीप खन्ना की तैनाती

इंदौर। आय से अधिक संपत्ति के मामले में निलंबित चल रहे इंदौर के जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना इससे पहले भी खनन के के मामले में निलंबित किए जा चुके हैं.
प्रदीप खन्ना पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं. साथ ही विभाग में अच्छी छवि नहीं होने के चलते इन्हें कई बार निलंबित भी किया जा चुका है.
बता दें कि हाल ही में चर्चा आए हुए जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को खनन घोटाले में कमिश्नर ने सस्पेंड किया था.
प्रदीप खन्ना करीब 5 साल तक इंदौर में जिला खनिज अधिकारी के रूप में तैनात रहा.
वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े से खनन की शिकायतों को लेकर जांच करवाई थी.
दरअसल अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े द्वारा जिला खनिज अधिकारी के ऊपर खनन को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. जिस पर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने जांच कमेटी गठित कर प्रदीप खन्ना के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी.
इस दौरान जांच कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें प्रदीप खन्ना दोषी पाए गए.
प्रदीप खन्ना पर कई आरोप लगे जिसमें सरकारी जमीन पर अवैध खनन किए जाने का मामला प्रमुख रहा. इस दौरान प्रदीप खन्ना द्वारा गलत रूप में पट्टा कर उसे बांटने के भी गंभीर आरोप लगे. पट्टे को लेकर भी कई शिकायतें कलेक्टर को मिली थी.
जिसके बाद कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने जांच कमेटी से मिली हुई रिपोर्ट के आधार पर खन्ना को निलंबित किए जाने की कमिश्नर को अर्जी दी.
कमिश्नर आकाश त्रिपाठी द्वारा लोकेश जाटव की रिपोर्ट के आधार पर प्रदीप खन्ना को निलंबित कर दिया गया था. बाद में मामले को रफा-दफा कर दिया गया.
वित्तीय वर्ष के अंतिम चरण का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव ने किया था बहाल
2 महीने बाद प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने प्रदीप खन्ना को बहाल कर दिया. उन्होंने प्रदीप खन्ना को बहाल किए जाने में वित्तीय वर्ष के अंतिम समय चलने का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि अभी राजस्व के मामले निपटाने हैं इसलिए विभाग को खन्ना की जरूरत है.
जिसके चलते प्रदीप खन्ना को दोबारा बहाल कर दिया गया. इस तरह नौकरी के अंतिम 19 वर्षों के दौरान अलग-अलग आरोप में खन्ना को निलंबित किया गया.
कौन है प्रदीप खन्ना
निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि प्रदीप खन्ना बेहद रसूखदार आदमी है. प्रदीप खन्ना की नियुक्ति वर्ष 1986 में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में हुई थी.
इसके बाद अपने रसूख के दम पर वर्ष 2001 में उसे प्रमोशन मिला. यही से उसके कारनामे शुरू हो गए. इसके बाद उसे जिला खनिज अधिकारी बना दिया गया.
यहीं से कुर्सी और पद का दुरुपयोग करना प्रदीप खन्ना ने शुरू कर दिया. उसने अपनी कुर्सी पर रहते हुए काली कमाई की मीनार खड़ी कर दी.
34 वर्षों में ही उसने कई करोड़ रुपए की संपत्ति हासिल कर ली. जबकि 34 साल की नौकरी में उसकी वेतन से कमाई 75 लाख रुपए ही है. बावजूद इसके उसने लगभग 3.5 करोड़ से अधिक रूपए की संपत्ति अर्जित कर ली.
शुरुआती जांच में अभी तक 4 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का मामला प्रकाश में आया है.
जबकि अभी और खुलासे होने बाकी हैं. लोकायुक्त पुलिस द्वारा यह खुलासा किया गया है. लोकायुक्त पुलिस की शिकायत पर ही विभाग के सचिव द्वारा प्रदीप खन्ना को निलंबित किया गया है.
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