मिर्धा अपहरण केस में जयपुर जेल में बंद हरनेक समेत 57 को पैरोल देने की तैयारी
- कोरोना के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर की जेलों में बंदियों की संख्या कम करने के लिए विशेष पैरोल दी जा रही है. जयपुर समेत प्रदेश की अन्य जेलों में बंद कैदियों को रिहा करने की भी कार्यवाही की जा रही है.
जयपुर. कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब कैदियों को जेल से रिहा करने की तैयारी की जा चुकी है. आदेश के मुताबिक तय मापदंड पूरे करने वाले कैदियों को 90 दिन की विशेष पैरोल दी जा रही है. प्रदेश के गृह विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है. इस आदेश के तहत जयपुर में हुए राजेंद्र मिर्धा अपहरण मामले में शामिल आतंकी हरनेक सिंह का नाम भी शामिल है. हालांकि राज्य सरकार हाईकोर्ट में हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने का लगातार विरोध करती रही है. वहीं, गृह विभाग ने नियमित पैरोल पर रिहा 90 बंदियों की पैरोल अवधि को 30 जून तक बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब 57 बंदियों की सूची तैयार की गई है, जिन्हें 90 दिन की विशेष पैरोल दी जाएगी. बता दें कि पिछले साल भी कोविड-19 को देखते हुए कई कैदियों पैरोल पर रिहा किया गया था. सुप्रीम कोर्ट में संक्रमण को देखते हुए बंदियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने के लिए आदेश दिए थे.
इन बंदियों की सूची में 50 के नंबर पर हरनेक सिंह का नाम शामिल है. जो पूर्व केंद्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेंद्र मिर्धा के 17 फरवरी 1995 को सी स्कीम स्थित निवास से अपहरण में शामिल था. आतंकियों ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की रिहाई के लिए मिर्धा का अपहरण किया था. इसी मामले में हरनेक को 2004 में गिरफ्तार किया गया और 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
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बता दें कि मिर्धा अपहरण कांड में दया सिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को 5 साल की सजा हुई थी. एक आरोपी नवनीत कादिया का मौके पर ही एनकाउंटर हो गया था. हरनेक फिलहाल जयपुर केंद्रीय कारागार में बंद है और उसने राजस्थान हाईकोर्ट से हालही में स्थाई पैरोल की मांग की थी. कोर्ट ने उसे पैरोल कमेटी के सामने प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था.
इधर, जेल महानिदेशक ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है जिसमें बंदियों के स्वास्थ्य सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए वैक्सीनेशन शिविर आयोजित करने की मांग की गई है. बता दें कि राज्य की अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक कैदी है.
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