राजस्थान जयपुर उदयपुर जोधपुर कोटा, एमपी भोपाल इंदौर जबलपुर अहोई अष्टमी कथा मुहूर्त
- भारत में अहोइ अष्टमी त्योहार का बहुत महत्व है. इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रखतीं हैं. तारों को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने वालों को माता अहोई संतानों को लंबी उम्र का वरदान देती हैं. मुहूर्त, पूजा विधि और कथा जानने के लिए पढिए पूरी खबर.

जयपुर. हर साल करवा चौथ के चार दिन बाद अहोइ अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल अहोई अष्टमी व्रत 28 अक्टूबर 2021 को है. इस व्रत को माताएं संतान के जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनाए रखने के लिए करती हैं. निःसंतान महिलाएं संतान की कामना के लिए ये व्रत रखतीं हैं. यह व्रत तारों को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती के अहोई स्वरूप की अराधना करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन बिना अन्न जल के उपवास रहती हैं. शाम के समय में तारे देखने और तारे को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं व्रत पारण करती हैं. जानिए क्या है इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और आरती…
पूजा का मुहूर्त:
मुहूर्त के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर 2021 को बृहस्पतिवार के दिन है. मुहूर्त के अनुसार पूजा के लिए उचित समय 05:39 PM से 06:56 PM तक है. पूजा की अवधि 01 घण्टा 17 मिनट है. गोवर्धन राधा कुण्ड स्नान के लिए शुभ मुहूर्त बृहस्पतिवार, अक्टूबर 28, 2021 है. तारों को देखने के लिए सांझ का समय 06:03 PM है. और अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 PM है.
पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान और बाकी कामों को कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें.इसके बाद घर के मंदिर या घर के पूजा स्थल की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं. आप चाहें तो इस पूजा के लिए विकल्प के रूप में मार्केट से लाए गए पोस्टर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. अब एक मटके में पानी भरकर, उस पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और मटके को ढक दें . और इसके बाद ढक्कन पर सिंघाड़े रखें. इन सब के बाद भी महिलाएं एक साथ मिलकर अहोई माता का पूजन करें और व्रत कथा पढ़ें. सभी महिलाएं एक स्वच्छ कपड़ा भी रखें और कथा के बाद इन कपड़ों को एक दूसरे को भेंट कर दें. इसके बाद रात में तारों को जल से अर्घ्य दें और इसके बाद उपवास तोड़ें.
व्रत कथा
एक साहूकार की बेटी मिट्टूी काटने खेत गई थी. जिस जगह साहूकार की बेटी मिट्टी काट रही थी, वहीं साही अपने साथ बेटों से साथ रहती थी. मिट्टी काटते समय गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से साही का एक बच्चा मर गया. जिसके बाद गु्स्से में आकार साही ने कहा कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी. इसी श्राप के कारण जब भी साहुकार की बेटी को बच्चे होते थे, वो सात दिन के अंदर मर जाते थे. परेशान होकर जब साहूकार की बेटी ने ने जब पंडित को बुलाया और इसका कारण पूछा तो उसे पता चला कि अनजाने में उससे जो पाप हुआ, उसका ये नतीजा है. इसके बाद पंडित ने लड़की से अहोई माता की पूजा करने को कहा, इसके बाद कार्तिक कृष्ण की अष्टमी तिथि के दिन उसने माता का व्रत रखा और पूजा की. पूजा करने के बाद माता अहोई ने सभी मृत संतानों को जिंदा कर दिया. इसके बा से संतान की लंबी आयु और प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया जाने लगा.