इन कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आशा की किरण बना 'आयुष 64' फॉर्मूला, जानें कैसे

Smart News Team, Last updated: Sat, 1st May 2021, 10:53 AM IST
  • राजस्थान के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने यह दावा करते हुए कहा है कि कोविड महामारी के बीच 'आयुष 64' दवा हल्के और मध्यम कोविड संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की एक किरण के रूप में उभरी है.
इन कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आशा की किरण बना 'आयुष 64' फॉर्मूला, जानें कैसे

जयपुर। राजस्थान के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने यह दावा करते हुए कहा है कि देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों का मानना है कि आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित एक पॉली हर्बल फॉर्मूला आयुष 64, लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के उपचार के सहयोग में लाभकारी है. 

उन्होंने आगे कहा कि यह दवा और अन्य आयुर्वेद दवाएं जैसे अश्वगंधा, गिलोय वटी, मुलेठी, अनुतेल आदि राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों और औषधालयों में उपलब्ध कराई जा रही हैं. आयुर्वेद मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के विश्वव्यापी कहर के बीच 'आयुष 64' दवा हल्के और मध्यम कोविड संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की एक किरण के रूप में उभरी है.

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बताते चलें कि आयुष 64 दवा को मूल रूप से वर्ष 1980 में मलेरिया की दवा के रूप में विकसित किया गया था और अब इसे कोविड संक्रमण के लिए काम में ली जा रही है. उन्होंने बताया कि हाल में आयुष मंत्रालय तथा सीएसआईआर द्वारा हल्के से मध्यम कोविड संक्रमण के प्रबंधन में आयुष 64 की प्रभावकारिता और इसके सुरक्षित होने का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक और क्लीनिकल परीक्षण पूरा किया गया है.

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इस आयुष 64 दावा के बार में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुष 64, सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है. यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गई है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है. इस दवाई को लेने की सलाह आयुर्वेद एवं योग आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल द्वारा भी दी गयी है जोकि आईसीएमआर की कोविड प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के निरीक्षण के बाद जारी किया गया था.

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उन्होंने आगे बताया कि अब तक मिले परिणामों ने हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमणों से निबटने में इसकी भूमिका स्पष्ट तौर पर जाहिर की है. उन्होंने यह भी बताया कि सात नैदानिक (क्लीनिकल) अध्ययनों के परिणाम से पता चला है कि आयुष 64 के उपयोग से संक्रमण के जल्दी ठीक होने और बीमारी के गंभीर होने से बचने के संकेत मिले हैं.

 

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