जिंदा व्यक्ति को मरा हुआ बताकर क्लेम उठाते थे ASI, डॉक्टर व वकील, हुआ भंडाफोड़
- राजस्थान के दौसा में जिंदा व्यक्ति को मरा हुआ बताकर उसके नाम का क्लेम उठाने का मामला सामने आया है. जब पड़ताल हुई तो उसमें एक वकील, डॉक्टर और एएसआई का नाम सामने आया. पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. सभी लोगों ने हार्ट और कैंसर मरीजों की भी हादसे में मौत बताकर उनके क्लेम का भी दावा किया था.

जयपुर. राजस्थान के दौसा में एक जिंदा व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाकर 10 लाख रुपये का फर्जी क्लेम उठाने का मामला सामने आया है. इस मामले की जब पड़ताल हुई तो इसमें पुलिस से लेकर डॉक्टर और वकील तक शामिल पाए गए. दौसा से 15 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इन सभी लोगों ने हॉस्पिटल में फर्जी हार्ट और कैंसर के मरीजों की भी एक्सीडेंट में मौत बताकर क्लेम का दावा किया था. इतना ही नहीं इससे पहले एक जिंदा व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत बातकर उसका भी क्लेम उठाया गया.
22 से ज्यादा लोग इस गिरोह में शामिल थे. पुलिस ने एक डॉक्टर, एएसआई और वकील समेत 15 लोगों को पकड़ा है. गिरफ्तार हुए डॉ. सतीश खण्डेलवाल टोंक जिले के टोडारायसिहं के सरकार अस्पताल में तैनात हैं. इसकी शुरुआत साल 2016 से हुई थी. हार्ट और कैंसर के मरीजों की एक्सीडेंट में मौत बताकर क्लेम का दावा किया गया था. बाद में फिर 2017 में 26 जनवरी वाले दिन यश चौहान ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें गणेशपुरा रोड पर एक अज्ञात वाहन की टक्कर से मनोज और अरुण नाम के दो लोगों की मौत हुई है ऐसा बताया गया था.
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फाइल में मौके पर पोस्टमार्टम करना लिखा गया था. इसी मामले में दौसा जिला अस्पताल के तत्कालीन ज्यूरिष्ट डॉ. सतीश खंडेवाल ने एक फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को तैयार किया. वहीं, कोतवाली के एएसआई रमेशचंद जाटव द्वारा जांच कर तैयारी की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर एडवोकेट चतुर्भुज मीणा ने एक्सीडेंट क्लेम का दावा किया, जिसके जरिए उन्होंने 10 लाख रुपये का क्लेम उठाया. जबकि असल में दोनों व्यक्ति मनोज और अरुण जिंदा हैं.
ऐसे खुला डॉक्टर, वकील और एएसआई का राज
पुलिस अधिकारियों और एसओजी जयपुर की तरफ से इन केसों को रीओपन किया गया. पहले एसओजी और बाद में फिर तत्कालीन जयपुर रेंज आईजी द्वारा जांच कराई गई. तब जाकर पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया. दर्ज हुई एफआईआर के मुताबिक न तो किसी भी तरह की दुर्घटना हुई और न ही किसी की मौत हुई. पूरा मामला धोखाधड़ी करके इंश्योरेंस क्लेम की राशि का फायदा उठाने का था. इसके बाद इसकी जांच फिर से दौसा के एसपी अनिल बेनीवाल को दी गई. जांच के लिए 28 अधिकारियों की एक टीम बनाई तो ये बात सामने आई कि इन लोगों ने जिंदा आदमी तक का क्लेम उठाया है.
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इस तरह से अपराध कर रहे थे डॉक्टर, एएसआई और वकील
वकील चतुर्भुज मीणा- परिचितों के जरिए दौसा क्षेत्र में मरने वाले लोगों का ध्यान रखा जाता था. इसके बाद उनके परिजनों को पैसे का लालच देकर एक्सीडेंट की फर्जी रिपोर्ट दर्ज कराई जाती थी.
एएसआई रमेशचंद- इन सभी हादसों के मामलों की जांच एएसआई रमेशचंद ने ही की थी. मौके पर हादसे में मौत बताकर फर्जी पंचनाम तैयार करवाया जाता था.
डॉ. सतीश खंडेवाल- फर्जी पोस्टमार्ट रिपोर्ट बनवाकर फिर बीमा कंपनी के सर्वेयर की मिलीभगत से वकील द्वारा क्लेम का दावा किया जाता था.
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