जयपुर: सिद्धम अस्पताल में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी, हुई कार्रवाई

Smart News Team, Last updated: Thu, 3rd Jun 2021, 9:27 AM IST
  • जयपुर में कोरोना और ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली दवाइयों की कालाबाजारी की लगातार शिकायतें मिल रही है. ड्रग कंट्रोलर टीम ऐसे अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स पर शिकंजा कस रहा है.
जयपुर के अस्पतालों में ड्रग कंट्रोलर टीम की कार्रवाई .

जयपुर. राजधानी जयपुर में लगातार अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स पर छापेमार कार्रवाई की जा रही है. कई अस्पताल कोरोना और ब्लैक फंगस की दवाइयों को निर्धारित दामों से महंगें दामों पर बेचते मिल रहे है. ऐसा ही एक और मामला जयपुर के सिद्धम ईएनटी अस्पताल के मेडिकल फार्मेसी पर सामने आया है.

 

 यहां ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाला इंजेक्शन सरकार की ओर से निर्धारित दरों से अधिक पर बेचा जा रहा था. सूचना मिलने पर ड्रग कंट्रोलर की टीम मौके पर पहुंचीं और कार्रवाई की. इसके साथ ही अस्पताल में भी कई तरह की अनियमितताएं मिली हैं. बता दें कि सिद्धम ईएनटी अस्पताल को राजस्थान सरकार ने अपनी पहली सूची में ही ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अधिकृत किया था.

ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाला इंजेक्शन अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर महंगे दामों पर बेचने की सूचना मिली. इस पर मेडिकल स्टोर का रिकॉर्ड जांचा गया तो उसमें गड़बड़ी पाई गई. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से 21 मई को आदेश जारी किया गया था. 

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इसके अनुसार ब्लैक फंगस में काम आने वाला इंजेक्शन लिपोसोमेल एम्फोट्रीसीयन बी 50 एमजी का विक्रय मूल्य 6872 रुपए एवं अधिकतम पांच फीसदी लाभ के साथ बेचने का आदेश जारी किया था. जबकि अस्पताल में यह इंजेक्श्न 7814 रुपए में बेचा जा रहा था. इसके बाद टीम ने अब जांच के लिए फार्मेसी का विक्रय रिकॉर्ड लिया है. साथ ही मामले में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 के तहत कार्रवाई की है.

 

साथ ही मौके पर मरीजों के अस्पताल के विक्रय बिल जांचने पर बेड या जांच सहित लिए गए अन्य चार्जेज भी निर्धारित दरों से अधिक पाए गए हैं. इस मामले की अलग से जांच की जाएगी. ड्रग कंट्रोलर टीम ने इस मामले की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर को पत्र लिखा है. 

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गौरतलब है कि पिछले दिनों राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अस्तपालों को अधिकृत करते हुए सभी तरह की दरें तय कर दी थी. साथ ही उसके बाद जांचों की भी अधिकतम दरें तय हो चुकी थी. इन दरों से अधिक पैसा मरीज से लेने पर कार्रवाई करने की बात कही गई थी. इसके बावजूद बहुत से अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स पर ज्यादा रुपए लेने की शिकायतें मिल रही है.

 

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