रिंग रोड परियोजना में जरूरत से ज्यादा जमीन ली, न्याय के लिए किसान लगा रहे चक्कर
- जेडीए ने आगरा रोड से अजमेर रोड तक जिन किसानों से जमीन ली थी, उनमें से कुछ को मुआवजा ही नहीं मिला है. वहीं कुछ ऐसे मामले भी है, जिनमें जेडीए ने जरूरत से ज्यादा जमीन आवप्त कर ली. जमीन को मुक्त करवाने के लिए 12 साल से किसान लगा रहे चक्कर. 12 साल में तीन सरकारे गई, न्याय किसी ने नहीं दिया.

जयपुर: आगरा रोड से अजमेर रोड के लिए बनी रिंग रोड पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो चुकी है और सरकार दूसरे फेज में आगरा रोड से दिल्ली रोड तक रिंग रोड का उत्तरी कॉरिडोर बनाने की तैयारी में जुट गई है. दक्षिणी कोरिडोर बनाने के लिए जेडीए ने आगरा रोड से अजमेर रोड तक जिन किसानों से जमीन ली थी, उनमें से कुछ को मुआवजा ही नहीं मिला है. वहीं कुछ ऐसे मामले भी है, जिनमें जेडीए ने जरूरत से ज्यादा जमीन आवप्त कर ली. अतिरिक्त जमीन वापस लेने के लिए कई किसान वर्षों से भटक रहे हैं.
ऐसा ही एक परिवार बस्सी तहसील में बूरथल पंचाय के कांनड़वास ग्राम का है. इस परिवार की 18 बीघा 14 बिस्वा जमीन जेडीए ने 2008 में रिंग रोड के लिए अवाप्त की थी. रिंग रोड परिजयोना में इस खसरा की मात्र 4 बिस्वा जमीन ही आई. ऐसे में 18 बिघा 10 विस्वा जमीन अवाप्ति से मुक्त किए जाने के लिए यह परिवार पिछले 12 साल से सरकार की लालफीताशाही में ऐसे फंसा की वह खुद चक्करा गया है.
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इस परिवार के लोग हर दिन जेडीए से सचिवालय के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके है. कई बार तो अधिकारियों मिलने के इंतजार में ही दिन गुजर जाता है, वहीं जिस दिन अधिकारियों से मुलकात हो जाती है तो वे उनके समक्ष अपनी बात रखते है. ये सिलसिला पिछले 12 साल से चला आ रहा है. इन सालों में ना जाने कितने ही यूडीएच मंत्री, यूडीएच सचिव, जेडीसी, जेडीए सचिव आए और गए. इन पदों पर रहे अधिकारियों से इस परिवार के लोगों ने सैकड़ों बार मुलाकात की और सैकड़ों बार ही बिना मिले ही वापास लोटना पड़ा. इसके बावजूद इन पदों पर आए एक भी अधिकारी इस पीडि़त परिवार को न्याय देने के लिए फाइल को आगे तक नहीं बढ़ाया. अब इस परिवार की जमीन मुक्त करवाने की आश धुमिल सी होती जा रही है.
इन 12 सालो में तीन सरकारे बदली
रिंग रोड के लिए जुलाई 2008 में जिस समय किसानो की जमीन अवाप्त की गई, उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री. इसके बाद दिसंबर 2008 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने पांच साल तक काम किया. दिसंबर 2013 में फिर से भाजपा की वसुंधरा सरकार आई जिसने भी पूरे पांच साल तक शासन किया। इसके बाद एक बार फिर से दिसंबर 2018 में कांग्रेस की अशोक गहलोत आई जो अभी काम कर रही है. प्रदेश में हर पांच साल में सरकार बदलती रही। इन सभी सरकारों के समक्ष बस्सी तहसील के ग्राम कानड़वास के खसरा नंबर 205 के काश्तकार न्याय के गुहार लगाते रहे. इन काश्तकारों को गुहार लगाते-लगाते पूरे 12 साल गुजर गए लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला.
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जिस समय जमीन इस दौरान कांग्रेस सरकार के समय में अधिकतर समय यूडीएच विभाग का मंत्री पद पर शांति धारीवाल के पास रहा, जो अभी भी इस विभाग के मंत्री है. 2008 में जिस समय रिंग रोड के लिए जमीन अवाप्त की गई उस समय प्रताप सिंह सिंघवी यूडीएच मंत्री थे. इसके बाद कांग्रेस सरकार आने पर शांति धारीवल यूडीएच मंत्री बने. वहीं 2013 में वसुंधरा सरकार में राजपाल सिंह शेखावत यूडीएच मंत्री रही, बाद में फेरबदल के दौरान श्रीचंद कृपलानी को यूडीएच मंत्री बनाया गया. इन सभी मंत्रियों के समक्ष पीडि़त काश्तारों ने न्याय के लिए गुहार लगाई.
तीन काश्तकारों की हो चुकी है मौत
जेडीए ने रिंग रोड के लिए इस परिवार के जिन काश्तकारों से जमीन अवाप्त की उनमें से तीन काश्तकारों मौत हो गई लेकिन उनके जीते-जी उन्हें अपनी जमीन वापस नहीं मिल सकी. अब इन काश्तकारों में बेटे इस जमीन को मुक्त करवाने के लिए जेडीए और सचिवालय के चक्कर लगा रहे है. काश्तकार हनुमान सहाय शर्मा और सीताराम शर्मा का कहना है कि उनके परिवार की जमीन को जेडीए ने अवाप्त तो कर ली लेकिन रिंग परियोजना में नहीं आने के कारण उनसे कब्जा नहीं लिया गया. कब्जा हमारे पास है जबकि जमीन आज भी जेडीए के नाम है. हमारे पिताजी की मृत्यु के बाद जमीन का नामांतरण हमारे नाम खुलना था. लेकिन इस जमीन का मालिक जेडीए बना हुआ है.
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ये है मामला
बस्सी तहसील के गांव कानड़वास में खसरा नम्बर 205 की 18 बीघा 14 विस्वा जमीन जेडीए ने 2008 में रिंग रोड के लिए अवाप्त की ली। रिंग रोड परिजयोना में इस खसरा की मात्र 4 विस्वा जमीन ही आई. ऐसे में 18 बिघा 10 विस्वा जमीन अवाप्ति से मुक्त किए जाने के लिए किसान ने 2011 में प्रार्थना पत्र दिया। अब तक जमीन जेडीए के नाम है. 29 जनवरी 2020 को जेडीए के तत्कालीन सचिव अर्चना सिंह ने नगरीय विकास विभग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी. इस रिपोर्ट में लिखा कि इस जमीन को अवाप्ति से मुक्त किए जाने में जेडीए को कोई आपत्ति नहीं हैं. 19 मार्च को संयुक्त शासन सचिव, तृतीय के कार्यालय से जेडीए को पत्र आया और धारा 24 (2) के तहत जमीन अवाप्ति से मुक्त समझी जाए. इसके बाद 12 फरवरी 2021 को जेडीए सचिव ह्रदेश कुमार शर्मा ने नगरीय विकास विभाग के संयुक्त शासन सचिव, तृतीय को पत्र लिखकर नियमों का हवाला देते हुए मार्गदर्शन मांगा है.
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