जयपुर:117 वर्ष पुराना बांध रसूखदारों के आगे हुआ 'बेबस', नहीं बुझा पा रहा प्यास
- गुलाबी शहर जयपुर में एक जमाने में रामगढ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था।लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है। अब हालात ऐसे है कि बांध में एक बूंद पानी तक नहीं बचा है. बदलते वक्त के साथ-साथ बांध की तस्वीर और तकदीर बदलती जा रही है।
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गुलाबी शहर जयपुर में एक जमाने में रामगढ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है. अब हालात ऐसे है कि बांध में एक बूंद पानी तक नहीं बचा है. बदलते वक्त के साथ-साथ बांध की तस्वीर और तकदीर बदलती जा रही है। 1903 में निर्माण के बाद में पहली बार रामगढ़ बांध में चादर 21 साल बाद चली. 10 सितंबर 1924 में रामगढ़ बांध में पानी से लबालब हुआ. उस वक्त 66 फीट गहरा रामगढ़ बांध पानी से पूरा भर चुका था ।
राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर में महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने साल 1897 में रामगढ बांध का निर्माण शुरू करवाया था कहते है कि यह साल 1903 में बनकर तैयार हुआ था। महाराज माधोसिंह ने 117 साल पहले इस बांध का निर्माण इसलिए करवाया था ताकि जयपुर की जनता को भरपूर मीठा पानी मिल सके। उस वक्त केवल चारदीवारी तक ही जयुपर सीमित था। इसलिए आबादी के हिसाब से भी रामगढ़ बांध बनने के बाद पानी की कोई कमी नहीं हुआ करती थी।
इस बांध से जयपुर को पानी की सप्लाई 1931 में शुरू हुई. देखते ही देखते पर्यटन स्थल बन गया। जिसके बाद 1982 में एशियाई खेलों में नौकायन प्रतियोगिता इस बांध में हुई थी। एक जमाना था जब रामगढ़ बांध में चार नदियों का पानी आया करता था। इसमें रोड़ा, बाणगंगा, ताला और माधोवेनी नदी से खूब पानी आया करता था. जिसमें से सबसे ज्यादा पानी बाणगंगा से बांध आया करता था। लेकिन धीरे-धीरे अतिक्रमण ने इन नदियों का अस्तित्व ही खत्म कर दिया । अब तो हालात ये हो चले हैं कि, रामगढ बांध में एक बूंद भी पानी नहीं बचा है। वो एक जमाना था जब रामगढ बांध जयपुर के लोगों की प्यास बुझाया करता था, अब वहीं रामगढ़ बांध रसूखदारों की प्यास बुझा रहा है. दरअसल, बांध को सूखने के बाद धीरे-धीरे अवैध निर्माण पनपने लगा, अब इस बांध की ऐसी तस्वीर दिखाई देने लगी है मानों ये बांध नहीं, बल्कि अवैध निर्माण का अड्डा हो. सबसे हैरानी की बात ये है कि, हाईकोर्ट (High Court) ने बार-बार इस अवैध निर्माण पर गंभीरता दिखाई. लेकिन प्रशासन और सिस्टम की नाक के नीचे अवैध कारोबार लगातार अपना जाल बिछाने में कामयाब है
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