जयपुर का दूधवाला बन गया 'पैडमैन', 19 महीने के अंदर बांटे 20 हजार सैनिटरी नैपकिन

Somya Sri, Last updated: Mon, 29th Nov 2021, 12:02 PM IST
  • एक अच्छी सोच और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो इंसान अपनी एक अलग पहचान बना ही लेता है. जयपुर के हनुमानगढ़ के नाथवना गांव निवासी राजेश सुथार ने पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में 20 हजार सैनिटरी पैड बांटे हैं. हर रोज 100 किलोमीटर तक सफर कर छोटे बस्तियों और स्लम एरिया में रहने वाली महिलाओं के बीच पैड का वितरण करना उन्हें बेहद खुशी देता है. राजेश सुथार ने कहते हैं कि वो नहीं चाहते कि किसी भी लड़की की पढ़ाई या उसका विद्यालय जाना इसलिए सिर्फ रुक जाए क्योंकि वो पीरियड्स में हैं. पढ़िए राजेश सुथार की कहानी...
जयपुर का दूधवाला बन गया 'पैडमैन', 19 महीनों के अंदर बांटे 20 हजार सैनिटरी नैपकिन. (फाइल फोटो)

जयपुर: कहने को तो सभी इंसान बराबर हैं क्योंकि उनके पास भी वही है जो बाकी मनुष्यों के पास है. दो हाथ, दो पैर, दो आंखे और एक शरीर. लेकिन, समानता होने के बाद भी कुछ इंसान अपनी अलग पहचान बना लेते हैं. वो समाज का एक उदाहरण बन कर सामने आते हैं. आखिर क्यों कोई शख्स बाकियों से अलग बन पाता है. ये सवाल हमारे मन में कई बार उठी होंगी. इसका जवाब बेहद ही सरल है- एक अच्छी सोच और कुछ कर गुजरने का जज्बा. आज ये बातें राजस्थान की राजधानी जयपुर के राजेश सुथार पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आज उनकी एक छोटी सी पहल से वो खबरों में बने हुए हैं और 'पैडमैन' कहला रहें हैं. राजेश सुथार ने 19 महीनों के अंदर 20 हजार सैनिटरी नैपकिन के पैक महिलाओं के बीच बाटें हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जयपुर के हनुमानगढ़ के नाथवना गांव निवासी राजेश सुथार ने पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में 20 हजार सैनिटरी पैड बांटे हैं. जिसके बाद से वे पैडमैन के नाम से जाने जा रहे हैं. उन्होंने हरियाणा और पंजाब के छोटे बस्तियों और स्लम एरिया में महिलाओं के बीच पैड का वितरण किया है. हर रोज 100 किलोमीटर तक सफर करना और महिलाओं के बीच पैड का वितरण करना उन्हें बेहद खुशी देता है. वो कहते हैं कि ये काम वो कोरोना वायरस के आगमन के बाद से करने लगे थे.

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राजेश सुथार ने बताया कि वो नहीं चाहते कि किसी भी लड़की की पढ़ाई या उसका विद्यालय जाना इसलिए सिर्फ रुक जाए क्योंकि वो पीरियड्स में हैं. सुथार कहते हैं कि कोरोना काल के दौरान महिलाओं के बीच साफ सफाई और पीरियड्स के दौरान इसका विशेष ध्यान रखने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है. उन्होंने इसके लिए अपने परिवार का भी धन्यवाद किया कि उनके परिजनों ने ऐसा करने से उन्हें रोका-टोका नहीं. वो कहते हैं कि राजेश का कहना है कि पीरियड्स के दौरान कपड़ा का इस्तेमाल करना बिल्कुल भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. सुथार कहते हैं कि वो अपना काम इसी तरह से जारी रखेंगे.

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राजेश सुथार ने कहा कि जब उनके इस काम के बारे में लोगों को पता चला तो लोग उनसे आर्डर लेने लगें. उन्होंने कहा कि, "कई बार लोग पैकेज ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं या मुझे खरीदने के लिए पैसे भेजते हैं. लेकिन मैं हर किसी से पैसे नहीं लेता हूं. इस पहल के माध्यम से मैंने 19 महीनों में सैनिटरी नैपकिन के 20,000 पैकेट वितरित किए हैं. जिसका मतलब है कि औसतन हर महीने 1,000 पैकेट 100 से अधिक लड़कियों तक पहुंचे हैं."

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