जयपुर: आरयूएचएस अस्पताल से एसीबी ने कालाबाजारी करते हुए दो संविदाकर्मी को पकड़ा
जयपुर. राजस्थान के सबसे बड़े कोविड डेडीकेटेड अस्पताल आरयूएचएस में कालाबाजारी और घूसखोरी का खेल चल रहा है. अस्पताल में कई गिरोह सक्रिय हो चुके हैं. ये मरीजों के परिजनों से संपर्क करते हैं. बेड या ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण पहले से परेशान लोग इस गिरोह के संपर्क में आते ही अपने मरीज की जान बचाने के लिए लाखों रुपए इन लोगों को देने के लिए तैयार हो जाते हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सात दिन बाद एक बार फिर आरयूएचएस में दो संविदा कर्मियों को इलाज के नाम पर परिजन से मोटी रकम वसूलते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है.
एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि हॉस्पिटल में बिजली ठेकेदार के पास संविदाकर्मी ओमवीर और पवन काम करता हैं. मरीजों से रकम वसूलने वाला सरगना ओमवीर है. दोनों आरोपी आईसीयू में बैठ दिलाने के नाम पर एक लाख रुपए, जनरल वार्ड में भर्ती कराने पर 30 हजार रुपए और प्रतिदिन ऑक्सीजन दिलाने के नाम पर दो हजार रुपए वसूलते हैं. एसीबी ने दोनों आरोपियों को पकड़ने के लिए डिकॉय ऑपरेशन किया था.
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जानकारी के अनुसार आरोपी ओमवीर और पवन के खिलाफ कई मरीजों के परिजनों ने आरयूएचएस में सुविधा दिलाने की एवज में मोटी रकम वसूलने की जानकारी दी थी. इस पर एसीबी ने भी मरीज को भर्ती कराने और ऑक्सीजन लगाने के लिए आरोपी ओमवीर से संपर्क किया. इसके बाद आरोपी ओमवीर ने पहले एक लाख रुपए मांगे. रुपए कम करने के लिए कहा गया तो बोला कि "मैं कुछ नहीं बता सकता. साहब से बात करके बताऊंगा."बाद में जनरल वार्ड में भर्ती कराने के 30 हजार रुपए और प्रतिदिन ऑक्सीजन के दो हजार रुपए देने की बात पर सौदा तय हुआ. शनिवार शाम को हॉस्पिटल में अग्रिम राशि 10 हजार रुपए देना तय किया. इसके बाद ओमवीर ने साथी पवन को मैसेज किया. जिसमें लिखा कि 'मुर्गा भेज रहा हूं, अभी 10 हजार रुपए ले लेना. इसके बाद जब बोगस ग्राहक ने पवन को 10 हजार रुपए दिए तो उसने ले लिए. इस तरह एसीबी ने दोनों को पकड़ लिया.
आरोपी ओमवीर मरीजों के परिजन से ली जाने वाली मोटी रकम आपकी पत्नी के बैंक खाते में जमा करवाकर कुछ रकम उनसे कैश भी लिया करता था. एक मरीज के परिजन से हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का बेड दिलाने के एवज में दो दिन पहले ही 45 हजार रुपए पत्नी के खाते में जमा करवा लिए. इस परिजन से पांच हजार रुपए नकद ले लिए. शनिवार को भी आरोपी ने एक मरीज के परिजन से 24 हजार रुपए बैंक खाते में जमा करवाए. एसीबी अब यह पता लगाएगी कि आखिर आरोपी ने बैंक खाते में अब तक कितने रुपए जमा करवाए हैं? इसके लिए बैंक खाते की जानकारी ली जाएगी.
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