जयपुर एयरपोर्ट से अब फ़्लाइट उड़ सकेंगी समय पर, इस सिस्टम की वजह से

Smart News Team, Last updated: Mon, 14th Sep 2020, 8:40 AM IST
  • डिपार्चर और अराइवल के नए तकनीकी अपग्रेडेशन का फायदा यात्रियों को मिलेगा. फ्लाइट को होल्ड पर रखने या उड़ान भरने से पहले एप्रन या टैक्सी-वे पर रोका जाता है तो उस दौरान यात्रियों के 10 से 15 मिनट का समय खराब होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और यात्रियों के लिए समय की बचत होगी
जयपुर एयरपोर्ट (फ़ाइल फ़ोटो)

जयपुर से उड़ान भरने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर्ड इंस्ट्रूमेंट डिपार्चर सिस्टम (एसआईडीएस) लागू किया गया है. जबकि जयपुर आने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर्ड टर्मिनल अराइवल रूट (स्टार) सिस्टम शुरू किया गया है. इन दोनों तकनीकी अपग्रेडेशन से एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के लिए विमानों का संचालन करना सुगम होगा. वहीं नया तकनीकी अपग्रेडेशन एयरलाइंस के लिए भी लाभकारी साबित होगा.

एक ही समय में तीन से चार विमानों की लैंडिंग के दौरान अक्सर यह परेशानी होती है, कि एक विमान को लैंड कराते हुए दूसरे विमानों को होल्ड पर रख दिया जाता है. मौजूदा हालात में चूंकि एयर ट्रैफिक कम है लेकिन कोविड-19 से पहले अक्सर यह समस्या होती थी.

पहले आसमान में 10-15 मिनट तक चक्कर काटने थे एरोप्लेन

लॉकडाउन से पहले जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से जब रोजाना 63 फ्लाइट का संचालन हो रहा था. तब एक ही समय तीन से चार फ्लाइट की लैंडिंग या टेक ऑफ होने पर एयर ट्रैफिक कंजेशन होना आम बात थी. ऐसे में इस दौरान एक फ्लाइट को लैंड कराते हुए दूसरी अन्य फ्लाइट्स को 10 से 15 मिनट तक होल्ड पर रख दिया जाता था. यानी इन विमानों को आसमान में चक्कर लगाने के लिए मजबूर किया जाता था.

10-15 मिनट की होगी बचत

डिपार्चर और अराइवल के नए तकनीकी अपग्रेडेशन का फायदा यात्रियों को भी मिलेगा. दरअसल जब भी किसी फ्लाइट को होल्ड पर रखा जाता है या उड़ान भरने से पहले एप्रन या टैक्सी-वे पर रोका जाता है तो उस दौरान यात्रियों के 10 से 15 मिनट का समय खराब होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और यात्रियों के लिए समय की बचत होगी. इसका बड़ा फायदा एयरलाइंस को भी मिलेगा.

पर्यावरण संरक्षण के दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम

विमान की सीधी लैंडिंग होने से होल्ड पर रखे जाने के दौरान खर्च होने वाला ईंधन बचेगा. वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी राहत मिलेगी. विमान के ज्यादा देर आसमान में रहने से कार्बन एमिशन ज्यादा होता है. विमान के लैंडिंग और टेक ऑफ सीधी होने से कार्बन एमिशन भी कम होगा. जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने यह दोनों अपग्रेडेशन हाल ही में लागू कर दिए हैं. सर्दियों में जब पर्यटन सीजन शुरू होगा तो बढ़ी हुई फ्लाइट्स के दौरान इस अपग्रेडेशन के फायदे देखने को मिलेंगे.

इन दो बदलावों के बाद होगा ये सुधार

एयरपोर्ट पर डिपार्चर वाली फ्लाइट्स के लिए एसआईडीएस शुरू किया. इसमें फ्लाइट का पूरा प्रोसीजर डिसाइड रहेगा कि कितनी देर में विमान कितनी ऊंचाई पर होगा. प्रत्येक फ्लाइट का डिपार्चर तयबद्ध समय पर होगा. जयपुर आने वाली फ्लाइट्स के लिए स्टार सिस्टम शुरू हुआ.

दूसरे एयरपोर्ट से उड़ान भरने से पहले जयपुर एयरपोर्ट एटीसी से अनुमति लेनी होगी. एटीसी आगमन वाली फ्लाइट्स को क्लीयरेंस देगी, तभी वो वहां से उड़ान भरेगी. इससे विमान जयपुर के आसमान में आने पर सीधा लैंड हो सकेगा, होल्ड पर नहीं रखा जाएगा.

 

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