जयपुर: जल्द ही बनकर तैयार होगा देश का पहला रेलवे टेस्ट ट्रैक
- जयपुर. विदेशी तर्ज पर अब देश में भी होगा ट्रेनों के संचालन का ट्रायल. नई ट्रेनों के ट्रायल पर बंद करना पड़ता है रूट की सभी ट्रेनों का संचालन. ट्रायल के दौरान रूट बंद किए जाने से यात्रियों को आवागमन में होती है असुविधा. 160 करोड़ की लागत से होगा विकसित.
जयपुर। जयपुर में नावां के समीप देश का पहला रेलवे ट्रायल ट्रैक बन रहा है. जल्द ही देश का पहला रेलवे ट्रायल ट्रैक बनकर तैयार हो जाएगा, जहां नई ट्रेनों या बोगियों के संचालन का ट्रायल किया जाएगा. अब यात्रियों को ट्रायल के चलते असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके लिए रूट को ब्लॉक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब नियमित रूप से चलने वाली ट्रेनें पहले के जैसे ही चलेंगी जबकि नई ट्रेनों का ट्रायल जयपुर शहर के नावां के समीप बन रहे रेलवे टेस्ट ट्रैक पर किया जाएगा.
जयपुर-जोधपुर ट्रैक पर नावां के समीप बन रहे देश के पहले रेलवे टेस्ट ट्रैक का काम अब गति पकड़ेगा. यहां 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार तक हाई स्पीड, रेग्युलर, गुड्स वैगन ट्रायल रन कर सकेंगे. वर्तमान में यहां भूमि अधिग्रहण का काम अंतिम दौर में चल रहा है. रेलवे ने अगले साल दिसंबर तक चीन, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की तरह रेलवे टेस्ट ट्रैक की सौगात का लक्ष्य रखा है.
दरअसल, इस ट्रैक की स्वीकृति 2018-19 रेलवे की बजट घोषणा में हुई थी.
ट्रैक की कवायद रेलवे की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने वाले एकमात्र अनुसंधान संगठन रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने शुरू की है. उसने डेडीकेटेड टेस्ट ट्रैक के निर्माण का निर्णय किया है. पहले फेज में इसके लिए गुढ़ा-ठठाना मीठड़ी के बीच स्थान का चयन किया गया.
जिसमें 44 किलोमीटर का ट्रैक बिछाया जाना है. इसमें सबसे बड़ी परेशानी जमीन अधिग्रहण को लेकर आ रही थी, जो लगभग अंतिम छोर पर है.
बजट की कमी होने से भी परियोजना में देरी हो रही थी, लेकिन वो बीते दिनों पूरी हो गई. रेलवे को सवा सौ करोड़ रुपए का बजट पास कर दिया गया है.
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खासकर इसमें सांभर झील का हिस्सा आ रहा है. यह उसके किनारे बिछेगा. झील में कई पाइप लाइनें और बिजली की लाइनें जा रही हैं. उसे हटवाने के लिए प्रशासन को पत्र लिखा गया है. इस सौगात के लिए 160 करोड़ रुपए का बजट मिल चुका है.
दोनों फेज का काम पूरा होने के बाद इस ट्रैक पर 200 किमी. प्रति घंटा रफ्तार ट्रायल रन हो सकेगा. दूसरे फेज का काम भी शुरू होगा.
रेलवे सूत्रों के अनुसार ट्रायल गुढा से रवाना होकर ठठाना मीठड़ी तक होगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
अब विदेशों की तर्ज पर होगा ट्रायल
चीन, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका समेत कई देशों में ऐसे ट्रैक हैं. यहां मौजूदा ट्रैक पर ही परीक्षण कराते हैं. वर्तमान में किसी नई ट्रेन या वैगन का ट्रायल रेलवे की ओर से किया जाता है. उस वक्त ट्रैक पर रेल परिवहन रोक दिया जाता है. इससे रेल यातायात परिवर्तन और संचालन में देरी होती है. रूट ब्लॉक होने के चलते कई ट्रेनें देरी से चलती है जिसके चलते यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब यात्रियों को इससे निजात मिलेगी. इसके उपयोग से कई अन्य परीक्षण भी हो सकेंगे.
इसलिए चुना गया इस ट्रैक को
इस ट्रैक के लिए गुढ़ा से ठठाना मीठड़ी को चुनने के पीछे सबसे बड़ी वजह इस दूरी के बीच पुरानी मीटर गेज लाइन है, जो दबी हुई है. इस लाइन का यूज़ पिछले कई वर्षों से नहीं हो रहा था. मीटर गेज लाइन विगत कई वर्षों से अंदर नीचे दबी हुई थी. ट्रायल ट्रैक बन जाने से इसका भी प्रयोग हो सकेगा. इस बीच कुछ जगह रेलवे की भूमि भी है. यहां टेस्ट ट्रैक के लिए प्रयोगशाला, आवास वर्कशॉप आदि भी बनने हैं.
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