जयपुर: बारिश से ज्यादा सरकारी अधिकारियों की लापरवाही ने लोगों को परेशान किया
- जयपुर में बारिश ने नहीं अधिकारियों ने रुलाया, सरकार बाड़े में रही, अधिकारियों ने नहीं सोची जनता की. समय रहते सभी सुविधाओं के साथ अतिक्रमण और निचले इलाकों में बसावट ना होती तो शायद आज लोगों को परेशानी नहीं होती।

जजपुर- पानी अपना रास्ता खुद बनाता है। वैसे ही सरकारी कर्मचारी अपनी कमाई का रास्ता खुद ही बना लेते है। अतिक्रमण और निचली बस्ती में बसे लोगों को हटाया नहीं गया, इसका मतलब सीधा है कहीं ना कही सरकारी अधिकारी अधिकारियों ने मोटी रकम अपनी जेबों में रखी होगी। जयपुर की सरकारी संस्थाओं में बैठे अधिकारियों ने सोचा की हम पानी का रुख मोड़ देंगे। जब तक बारिश ना हुई तब तक तो ठीक लेकिन जब बारिश हुई तो भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारियों की हकीकत सामने आ गई।
सबसे ज्यादा नुकसान कच्ची बस्तियों और निचले इलाकों में हुआ। बहाव क्षेत्र में आ रहे सभी मकान तबाह हो गए। बारिश में बहकर आई मिट्टी के कारण कई इलाकों में गाड़ियां और घर मिट्टी में दब गए।

अगर सरकारी नुमाइंदे अपनी जिम्मेदारी समझते, जेडीए और नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदारी से काम करते तो पानी निकासी की समुचित व्यवस्था होती, लोगों को निचले इलाकों में बसने से पहले क्यों नहीं सोचा। राजनीति के हाथों की कठपुतली बने अधिकारी देखकर भी आंखे मूंद लेते है। अधिकारियों को पता है अमानीशाह नाला है। बहाव क्षेत्र में कभी भी अनहोनी हो सकती है। लेकिन कभी कुछ भी कार्रवाई नहीं की। यहां तक की शास्त्री नगर और विद्याधर नगर के बीच अमानीशाह नाले में सड़क तक बना दी, लोगों को बिजली के कनेक्शन दे दिए। जब वोट बैंक की राजनीति के पीछे अधिकारियों की कारगुजारी ऐसी होगी तो लोगों को परेशानी के अलावा कुछ नहीं मिल सकता है।
अब अधिकारी भी क्या करें जब सरकार ही अस्थिर हो। महीने भर से सरकार बाड़े में बंद थी। डंडे पर चलने वाले अधिकारियों के ऊपर कोई ना हो तो कौन कहने वाला और कौन सुनने वाला। ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’
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