जयपुर:जवाहर कला केंद्र के फेसबुक पेज पर 'गज चिकित्सा' ग्रंथ की वर्चुअल एग्जीबिशन
- जयपुर में अंतर्राष्ट्रीय हाथी दिवस के अवसर पर 'गज चिकित्सा' (गज शास्त्र - हाथियों का विज्ञान) ऑनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. यह एग्जीबिशन 18वीं शताब्दी की पुस्तक ‘गज चिकित्सा’ (गज शास्त्र - द साइंस ऑफ एलिफेंट्स) पर आधारित है.

जयपुर, 12 अगस्त। अंतर्राष्ट्रीय हाथी दिवस के अवसर पर जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के फेसबुक पेज पर आयोजित वर्चुअल एग्जीबिशन में 'गज चिकित्सा' (गज शास्त्र - हाथियों का विज्ञान) ऑनलाइन प्रदर्शित की जा रही है. कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा जवाहर कला केंद्र और राजस्थान ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, जोधपुर के सहयोग से इस एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है. यह वर्चुअल एग्जीबिशन जेकेके के यूट्यूब पेज पर भी उपलब्ध रहेगी.
यह एग्जीबिशन 18वीं शताब्दी की पुस्तक ‘गज चिकित्सा’ (गज शास्त्र - द साइंस ऑफ एलिफेंट्स) पर आधारित है. इसमें 138 चित्र और उनके पृष्ठ भाग पर 'गज चिकित्सा' पर आलेख लिखे हैं. इस ग्रंथ में हाथियों की विभिन्न प्रजातियों का विशद् वर्णन है. ग्रंथ में हाथियों के शुभ-अशुभ लक्षण, रंग, आकार, उनके रहने का स्थान, आयु, उनकी मृत्यु की संभावित ऋतु, रोग, उपचार व आहार-विहार आदि का सुंदर वर्णन उपलब्ध है. यह ग्रंथ राजस्थानी, मेवाड़ी और संस्कृत भाषा में है. यह राजस्थान ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, जोधपुर में उपलब्ध है.
प्राचीन भारतीय परंपराओं, संस्कृति और शास्त्रों के महत्व को विश्व स्तर पर व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है. हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में जीवन के प्रत्येक पहलू की विस्तार से विवेचना की गई है. इसी कड़ी में ऋषि-मुनियों द्वारा विविध विषयक ग्रंथों की रचनाएं की गई है. जिसमें आयुर्वेद की चर्चा मिलती है. एक तरफ मानव व्याधि से संबंधित उपचार के अनेक ग्रंथ लिपिबद्ध हुए हैं तो दूसरी तरफ पशु चिकित्सा के हस्त आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान है.
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