राजस्थान में 5 श्रेणियों में भू-जल दोहन के लिए अब एनओसी की जरूरत नहीं

Smart News Team, Last updated: Tue, 8th Dec 2020, 6:02 PM IST
  • जयपुर में मुख्यमंत्री निवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया गया कि घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू-जल निकासी करने वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के उपयोग के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 

जयपुर. राजस्थान मंत्रिमंडल की बैठक में पांच विभिन्न श्रेणियों में भू-जल दोहन के लिए एनओसी में छूट देने, आमजन को खनिज बजरी के विकल्प के रूप में एम-सेण्ड उपलब्ध कराने की नीति के अनुमोदन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इस दौरान प्रदेश में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के लिए टीकाकरण अभियान की तैयारियों पर भी चर्चा की गई. बैठक सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सीएम निवास पर हुई. मंत्रिमंडल ने पांच श्रेणियों में भू-जल निकासी के लिए एनओसी के प्रावधान को खत्म करने का निर्णय किया है. इस निर्णय के बाद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू-जल निकासी करने वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के उपयोग के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी. बैठक में यह भी तय हुआ कि वर्षा जल के संरक्षण तथा पुनर्भरण के लिए जल संसाधन, जल ग्रहण, पंचायती राज, जलदाय तथा भू-जल विभाग उचित कदम उठाएंगे.

तीन स्तर पर होगी जनसुनवाई : राज्य मंत्रिमंडल ने जनसुनवाई की व्यवस्था को अधिक संवेदनशील और निचले स्तर तक प्रभावी बनाने के लिए त्रिस्तरीय प्रणाली लागू करने का निर्णय किया है. इसके तहत कलस्टर, उपखण्ड तथा जिला स्तर पर आमजन की शिकायतों का प्रभावी निराकरण किया जाएगा. इस संबंध में विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया जाएगा, जो इसे शीघ्र लागू करवाना सुनिश्चित करेगी.

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मनरेगा में 220 रुपए मजदूरी देने की मंशा: मंत्रिमंडल ने मनरेगा श्रमिकों को टास्क पूरा होने पर राज्य द्वारा घोषित 220 रुपए प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी मिलने की मंशा जाहिर की. कैबिनेट ने इस प्रकार की व्यवस्था पर बल दिया, जिसमें मनरेगा श्रमिकों को टास्क पूरा करने पर न्यूनतम मजदूरी मिल सके. बैठक में राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 में संशोधन कर राज्य सरकार के कार्मिकों की 1 जून, 2002 के बाद संतानों की संख्या दो अधिक होने पर 3 वर्ष के लिए रोकी गई एसीपी को लेकर आगामी एसीपी में उसके पारिणामिक प्रभाव को समाप्त करने का निर्णय भी लिया गय. साथ ही राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियमों में संशोधन कर वरिष्ठ उपाध्यापक स्कूल, संस्कृत शिक्षा विभाग के प्रधानाचार्य को शिक्षा विभाग के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य के समकक्ष वेतनमान देने को मंजूरी दी गई.

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