विश्व जल दिवस आज: 140 लीटर जल दोहन के मुकाबले 100 लीटर ही जमीन में जा रहा पानी

Smart News Team, Last updated: Mon, 22nd Mar 2021, 12:27 PM IST
  • आज विश्व जल दिवस है जल संकट हर साल बढ़ते जा रहा है आज वर्तमान में राजस्थान में अतिदोहित ब्लॉकों की संख्या बढ़कर 185 हो गई है. प्रदेश का 75 प्रतिश क्षेत्र डार्क जोन में आ गया है. अब जहाँ 100 लीटर पानी जमीन में जा रहा है और वहीं हम 140 लीटर पानी का दोहन कर रहे है.
विश्व जल दिवस आज: 140 लीटर जल दोहन के मुकाबले 100 लीटर ही जमीन में जा रहा पानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जयपुर: आज विश्व जल दिवस है और राजस्थान में भू-जल को लेकर दिनोदिन स्थति चिंतनिय होती जा रही है. 35 साल पहले राजस्थान में अतिदोहित ब्लॉक केवल 12 ही थे. समय के साथ उद्योगों का विस्तार और खेती में पानी के अधिकाधिक उपयोग से पानी का दोहन बढ़ता गया जिससे भू-जल तेजी से नीचे जाता रहा है. अब वर्तमान में प्रदेश में अतिदोहित ब्लॉकों की संख्या बढ़कर 185 हो गई है. इसके साथ ही प्रदेश का 75 प्रतिश क्षेत्र डार्क जोन में आ गया है.

35 साल पहले जहां 100 लीटर पानी जमीन में जा रहा था और 35 लीटर पानी जमीन से निकाला जा रहा था. वहीं अब इसके विपरीत 100 लीटर पानी जमीन में जा रहा है और हम 140 लीटर पानी दोहन कर रहे है. जल संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि अब नए जल स्त्रोता की खोज करना जरूरी हो गया है और सूख चुके जल स्त्रोतों को संरक्षित करना है. वहीं अतिदोहित क्षेत्रों में बढ़ोतरी होने से राजस्थान में भू-जल का 75 प्रतिशत क्षेत्र डार्क जोन में आ चुका है.

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सुरक्षित ब्लॉक की संख्या 203 से कम होकर रह गई 45

प्रदेश में दिनों दिनोदिन भू-जल के घटते स्तर का इसी से पता लगा सकते है कि जहां 1984 में पानी के सुरक्षित ब्लॉक की संख्या 203 थी. पानी के इन सुरक्षित ब्लॉकों की की संख्या में तेजी से कमी आई है. इन 35 सालों में ही सुरक्षित पानी के ब्लॉकों की संख्या कम होकर मात्र 45 ही रह गई है.

ट्यूबवैल खुदवाने में मिली छूट का भुगतना होगा खामियाजा

प्रदेश सरकार ने पिछले ही दिनों एक आदेश जारी कर प्रदेश में ट्यूबवैल खुदवाने लगी रोक को हटा लिया. ट्यूबवैल खुदवाने की छूट मिलने के बाद प्रदेश में जगह-जगह तेजी से ट्यूबवैल खुदवाए जा रहे है. इससे अब पानी का दोहन अधिक तेजी से बढ़ेगा. जिसके परिणाम आने वाले दिनों में भुगतने होंगे. जल संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को यह छूट पांच साल से अधिक समय के लिए नहीं देनी चाहिए। इसी प्रकार छूट जारी रही तो भू-जल का स्तर तेजी से नीचे चला जाएगा.

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