पंचायत सहायकों के लिए परिवार चलाना हुआ मुश्किल
- जयपुर. नहीं मिल रहा मानदेय, पंचायत सहायक कैसे मनाएँ त्यौहार, पंचायत सहायकों का मानदेय सिर्फ 6 हजार रुपए महीना निर्धारित है। इतना कम मानदेय होने के बावजूद भी समय पर नहीं दिया जा रहा है।

जयपुर। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत पंचायत सहायकों को समय पर मानदेय नहीं मिलने के उनके सामने घर चलाना मुश्किल हो गया है। मानदेय की समस्या से जूझ रहे पंचायत सहायकों के घरों पर त्यौहार की खुशियां भी इस बार फ़ीकी ही रही है। पहले ईद और अब रक्षाबंधन का त्यौहार मानदेय मिलने की आस में निकल गए। पंचायत सहायकों का मानदेय सिर्फ 6 हजार रुपए महीना निर्धारित है। इतना कम मानदेय होने के बावजूद भी समय पर नहीं दिया जा रहा है।
राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर संचालित सरकार की विभिन्न योजनाओं के साथ ही अन्य जरूरी सरकारी कामकाजों में भागीदारी के लिए प्रदेश में करीब 27 हजार पंचायत सहायक लगा रखे हैं। लेकिन अप्रेल महीने से ज्यादातर स्थानों पर पंचायत सहायकों को मानदेय नहीं मिला है। वेतन नहीं मिलने से ज्यादातर पंचायत सहायकों को आर्थिक तंगी का समाना करना पड़ रहा है।
पंचायतों के पास नहीं हैं, आय के निजी स्रोत। कैसे मिले मानदेय
पंचायत सहायकों का चालू वित्त वर्ष में वार्षिक अनुबंध इस शर्त पर बढ़ाया था कि पंचायत सहायकों को मानदेय का भुगतान पंचायतें अपने निजी आय के स्रोत से करेंगी। लेकिन प्रदेश की अधिकतर पंचायतें ऐसी हैं जिनके पास निजी आय के स्रोत नहीं हैं। इसके चलते पंचायतें अपने यहां कार्य करने वाले सहायकों को वेतन नहीं दे रही रही हैं। ऐसे में पंचायत सहायकों के सामने परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है।
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