राजस्थान में वासवा की बीटीपी और ओवैसी की एआईएमआईएम के बीच गठबंधन की चर्चा

Smart News Team, Last updated: Mon, 14th Dec 2020, 7:46 PM IST
  • भाजपा और कांग्रेस द्वारा जिला प्रमुख चुनाव में बीटीपी को हराने के बाद बीटीपी समर्थन में आए ओवैसी. एआईएमआईएम नेता ने ट्वीट कर कांग्रेस और बीजेपी को एक बताते हुए बीटपी का साथ देने की बात कहकर गठबंधन का न्योता भी दे दिया. अगर यह गठबंधन होता है तो 50 से ज्यादा सीटों पर राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है.
एआईएमआईएम नेता ओवैसी

जयपुर. डूंगरपुर जिला प्रमुख चुनाव में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के एक होने के मुद्दे पर पैदा हुए सियासी विवाद में असदुद्दीन ओवैसी के एक ट्वीट से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में नए समीकरणों की चर्चाएं तेज हो गई हैं. जिला प्रमुख चुनाव में बीटीपी को हराने के लिए भाजपा और कांग्रेस के एक मंच पर आने को लेकर ओवैसी ने निशाना साधा है. 

एआईएमआईएम के नेता ओवैसी ने ट्वीट करके कांग्रेस और बीजेपी को एक बताते हुए बीटीपी को किंगमेकर बताया है. इसके साथ ही इस संघर्ष में उसका साथ देने की बात कहकर गठबंधन का न्योता भी दे दिया है. ओवैसी ने बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष छोटूभाई वासवा को लिखा कि वसावाजी कांग्रेस आपको और मुझको सुबह-शाम विपक्षी एकता का पाठ पढ़ाएगी, लेकिन खुद जनेऊधारी एकता से ऊपर नहीं उठेगी. ये दोनों एक हैं. आप कब तक इनके सहारे चलोगे. क्या आपकी स्वतंत्र सियासी ताकत किसी किंगमेकर होने से कम है. उम्मीद है कि आप जल्द ही एक सही फैसला लेंगे. हिस्सेदारी के इस संघर्ष में हम आपके साथ हैं. ओवैसी की पार्टी के राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की सियासी हलकों में चर्चाएं थीं, लेकिन अब ओवैसी के इस ट्वीट से इन चर्चाओं को और भी पुख्ता आधार मिल गया है.

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मुस्लिम-आदिवासी समीकरण बनाने के प्रयास में हैं ओवैसी : कांग्रेस से नाराज प्रदेश के मुस्लिम नेताओं ने इससे पहले ओवैसी से संपर्क कर राजस्थान में पार्टी को सक्रिय करने का निमंत्रण दिया था. डूंगरपुर में जिला प्रमुख चुनाव के बाद बीटीपी की कांग्रेस से बढ़ती दूरी का फायदा ओवैसी उठाना चाहते हैं. ओवैसी के लिए मौजूदा राजनीतिक हालात राजस्थान में उनकी एंट्री के लिए अनुकूल हैं और ओवैसी मुस्लिम और आदिवासी समीकरण बनाने के प्रयास में हैं. ओवैसी की पार्टी का बीटीपी से गठबंधन होता है तो वे 50 से ज्यादा सीटों पर समीकरण बिगाड़ेंगे. बीटीपी का राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में प्रभाव है. वहीं गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में भी उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत है. ओवैसी बीटीपी के सहारे आदिवासी इलाके में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं.

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