नगाड़ा बजाने वाले ने जयपुर महाराजा मानसिंह की संपत्ति पर कब्जा जमाया
- Raja Mansingh City Palace: केंद्र सरकार और महाराजा मानसिंह के बीच आजादी के समय ही एक एग्रीमेंट हुआ था. महाराजा मानसिंह के कब्जे में ही इन सम्पत्ति को रखे जाने का एग्रीमेंट किया गया था. वर्ष 1970 के 24 जून को महाराजा सवाई मानसिंह का स्वर्गवास हो गया.
Raja Mansingh City Palace: जयपुर के पूर्व राजपरिवार की संपत्ति पर कब्जा किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. सिटी पैलेस के बाहर नगाड़ा बजाने वाले ने फर्जी दस्तावेज के सहारे संपत्ति पर कब्जा जमा लिया है. इतना ही नहीं उसने कूटरचित दस्तावेजों के सहारे बिजली और पानी का कनेक्शन भी ले लिया है. पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.
मिली जानकारी के अनुसार जयपुर के पूर्व राजपरिवार की संपत्ति पर सिटी पैलेस के बाहर नगाड़ा बजाने वाले ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे संपत्ति पर कब्जा जमा लिया है जिसकी सूचना माणक चौक थाने में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट सिटी पैलेस जयपुर के रहने वाले श्याम सुंदर यादव के बेटे प्रमोद यादव ने दी है. शिकायत के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस मुकदमा दर्ज करते ही कार्रवाई में जुट गई है. यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. पुलिस ने मामले को संजीदगी से लेते हुए जल्द से जल्द कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया है. मामले की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. एसएसआई ग्यारसीलाल इस मामले की जांच कर रहे हैं.
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जांच रिपोर्ट में ग्यारसी लाल ने बताया कि जलेबी चौक के पास लगी सिरही ड्योढ़ी है. साथ ही बड़े दरवाजे व सिटी पैलेस के दरवाजे पर गणेश जी की व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है. यहीं से पहले राजपरिवार का महल में प्रवेश होता था. महल में प्रवेश करने का यह एंट्री प्वाइंट था. इस एंट्री गेट पर नगाड़े बजाने वालों को रखा जाता था. नगाड़े बजाने वालों के रहने के लिए इसमें बाकायदा कमरे भी बने होते थे. जहां वह रात में आराम करते थे. रिटायरमेंट होने तक उन्हें इसी कमरे में रहने की अनुमति दी गई थी.
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रिटायर होने के बाद भी नहीं छोड़ा कमरा
रिपोर्ट के अनुसार नगाड़ा बजाने के लिए चांद खा के बेटे अब्दुल सलाम नामक एक कर्मचारी को रखा गया था. राजशाही समाप्त होने के बाद भी अब्दुल उसी कमरे में जमा रहा. राजशाही के रहमो करम पर उस कमरे में वह गुजर-बसर करता था. 31 मई 2018 को वह रिटायर हो गया. उसने ट्रस्ट ग्रेच्युटी व सेवा के अन्य लाभ भी चेक के जरिए प्राप्त कर लिए थे. अब्दुल सलाम को यह संपत्ति सिर्फ सेवा के दौरान ही दी गई थी. रिटायर होने के बाद यह सेवा छीन ली जाती है लेकिन अब्दुल सलाम और उसके परिवार ने कमरे का कब्जा नहीं छोड़ा. मुख्य गेट के पास करीब 5 कमरे और एक बड़ा हालनुमा हिस्सा भी था जिस पर अब्दुल सलाम अपने परिवार के साथ कब्जा जमाए हुए था.
बिना जांच के ही बिजली व पानी का दे दिया गया कनेक्शन
बिजली विभाग व नगर निगम की लापरवाही के चलते अब्दुल कलाम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए महल के बाहरी हिस्से कब्जा जमा लिया है. दोनों ही विभाग ने बिना जांच पड़ताल किए ही अब्दुल सलाम के नाम बिजली और पानी का कनेक्शन दे दिया. बिजली विभाग व नगर की लापरवाही के चलते अब्दुल सलाम कब्जा जमाए हुए हैं.
नगर निगम और ट्रस्ट के बीच कोर्ट में मामला विचाराधीन
केंद्र सरकार और महाराजा मानसिंह के बीच आजादी के समय ही एक एग्रीमेंट हुआ था. महाराजा मानसिंह के कब्जे में ही इन सम्पत्ति को रखे जाने का एग्रीमेंट किया गया था. वर्ष 1970 के 24 जून को महाराजा सवाई मानसिंह का स्वर्गवास हो गया. इसके बाद महाराजा सवाई भवानी सिंह सिटी पैलेस एरिया की संपत्ति व जलेबी चौक की संपत्ति जुलाई 1972 को ट्रस्ट में दे दी गई. ट्रस्ट ही संपत्ति की देखभाल कर रहा था. हालांकि इस संपत्ति को लेकर नगर निगम और राज्य सरकार सहित महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट के बीच मुकदमा चल रहा है.
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