गहलोत पर ग्रहण, 15 हारे कांग्रेसी बोले- IND, BSP वालों को बहुत भाव दे रही सरकार
- राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के आधा कार्यकाल पूरा होते ही 2018 के विधानसभा चुनाव में हारे 15 कांग्रेस कैंडिडेट्स ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकायत कर दी है कि समर्थन देकर पार्टी में आए बीएसपी और निर्दलीय विधायकों को सरकार बहुत ज्यादा भाव दे रही है.

जयपुर. राजस्थान में ढाई साल से कांग्रेस सरकार चला रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी पर ग्रहण है कि छटता ही नहीं. सचिन पायलट कैंप का ग्रहण तो चल ही रहा था और अब 2018 के विधानसभा चुनाव में हारे 15 कांग्रेस उम्मीदवारों ने पार्टी की दशा और दिशा को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से शिकायत कर दी है.
चुनाव हारे कांग्रेस नेताओं का दर्द ये है कि उनमें से कई को हराकर निर्दलीय या बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए एमएलए को गहलोत सरकार बहुत ज्यादा भाव दे रही है और प्रदेश अध्यक्ष तक उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. वैसे, गोविंद सिंह डोटासरा खुद भी गहलोत सरकार में मंत्री हैं.
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ऐसे 15 उम्मीदवारों में काफी सचिन पायलट के समर्थक हैं. इन सबने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी. दिल्ली में डेरा जमाए बैठे नेता राजस्थान प्रभारी अजय माकन से मिलना चाहते हैं. माकन ने मंगलवार को समय दिया था लेकिन मुलाकात की तारीख आगे बढ़ा दी गई है और नई तारीख मिली नहीं है.
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शाहपुरा से कांग्रेस कैंडिडेट रहे मनीष यादव कहते हैं- “हम तब तक दिल्ली में डटे रहेंगे जब तक नेताओं से मिल नहीं लेते और अपनी बात उनको सुना नहीं देते. जो हमारा हक है, उसे ही मारा जा रहा है. सीएम सरकार के मुखिया हैं और प्रदेश अध्यक्ष संगठन के लेकिन दोनों हमें नजरअंदाज कर रहे हैं. 2018 में जिन लोगों ने पार्टी को वोट दिया, पार्टी के लिए काम किया, उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है.”
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मनीष यादव के साथ दौलत मीणा, सुभाष मील, रितेश बैरवा और आरसी यादव भी दिल्ली में जमे हैं. पहले तो ये 15 लोग ही माकन से एक साथ मिलना चाहते थे लेकिन माकन ने कहा कि थोड़ा छोटा डेलीगेशन बनाकर आइए तो पांच लोग आए हैं.
राजस्थान में गहलोत कैबिनेट के विस्तार और दूसरे विभागों और निगमों में राजनीतिक नियुक्तिों को लेकर पायलट कैंप दबाव और माहौल बनाने में लगा है. अब हारे हुए नेताओं के दम पर कौन गहलोत को और दबाना चाहता है, ये समझा जा सकता है.
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हारे हुए नेताओं का कहना है कि बाहर से आए विधायक पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं जिससे संगठन कमजोर हो रहा है. स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में टिकट तक उनके इशारों पर दिए गए और उन लोगों को दिए गए जिन्होंने चुनाव में कांग्रेस का खुला विरोध किया था.
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