कोरोना ने बनाया कर्जदार, राज्य में महामारी के दौर में बढ़ा लोन लेने का ग्राफ

Smart News Team, Last updated: Wed, 30th Jun 2021, 2:15 PM IST
  • प्रदेश में इस साल 7 हजार करोड़ से अधिक का लोन लिया गया है. यह लोन लोगों द्वारा लोकडाउन लगने से काम-धंधे बदं होने, रोजगार छिनने और बीमारियों के खर्च के लिए लिए गए है.
50 लाख रुपए का लोन दिलाने का झांसा देकर, व्यक्ति से ठगे डेढ़ लाख रुपए (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश के लोगों की सेहत के साथ आर्थिक हालातों पर भी हमला किया है. स्कूल-कॉलेज बंद होने से कोई बेरोजगार हो गया तो किसी का लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन गया. कई परिवारों के आर्थिक हालात पर कोरोना सहित अन्य बीमारियों ने भी बुरा प्रभाव डाला है. इस वजह से पिछले साल के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष में राजस्थान के लोगों ने सात हजार करोड़ रुपए का अधिक लोन लिया है.

बैंकिग सेक्टर की जानकारी के अनुसार कोरोना काल में नौजवान युवाओं ने लोन लेकर रोजगार हासिल करने की सबसे अधिक प्रयास किए है. इस कारण भी प्रदेश सहित पूरे देश में अधिक मात्रा में लोन लिया गया है. केंद्र सरकार की उद्यमी योजना के अंतर्गत भी इस वित्तीय वर्ष में कुल लोन में से 20 फीसदी अधिक लोन लिया गया है. प्रदेश में ऐसे लोन लेने वाली कंपनियों की संख्या 2100 से अधिक है.

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वहीं बीमारियों में मोटा खर्च होने के कारण भी लोगों ने लोन लेकर इससे निजात पाने का प्रयास किया है. बीमारियों और लोन के खर्चे के दबाव को कम करने के लिए लोगों ने कोरोना काल में गोल्ड लोन की तरफ अधिक तेजी से रूख किया है. प्रदेश में इस वित्तिय वर्ष में करीब 30 फीसदी तक गोल्ड लोन अधिक हुए है. वहीं कई लोगों ने तो काम-धंधे बंद होने की वजह से अपने बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई की फीस भरने के लिए भी एज्युकेशन लोन लिया है. कोरोना की वजह से देश पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ था ऐसे में ना केवल आम लोगों की बल्कि पूरे देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है.

 

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