स्टडी का दावा: राजस्थान में 90% लोग एंटीबॉडी, हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहा राज्य

Swati Gautam, Last updated: Thu, 30th Dec 2021, 8:11 PM IST
  • राजस्थान के एसएमएस मेडिकल कॉलेज द्वारा की गई सीरो-प्रीवलेंस स्टडी में यह दावा किया गया है कि राज्य में 76% बच्चों में और 90% लोगों में एंटीबॉडी पाया गया. कॉलेज के प्रधानाचार्य सुधीर भंडारी ने कहा कि इससे यह साफ होता है कि राज्य हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहा है.
हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहा राजस्थान. फाइल फोटो

जयपुर. राजस्थान के एसएमएस मेडिकल कॉलेज द्वारा की गई एक रिसर्च के अनुसार यह सामने आया है कि राजस्थान की ज्यादातर आबादी अब हर्ड इम्युनिटी (सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता) की ओर बढ़ रही है. राजस्थान के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में सीरो-प्रीवलेंस स्टडी की है जिसमें राज्य के 14 जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 16,000 में से 1500 लोगों में जांच के बाद एंटीबॉडी पाया गया है. वहीं राज्य के जिन बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी थी, उनमें से करीब 76% बच्चों में भी एंटीबॉडीज पाए गए हैं. इससे यह साफ होता है कि राज्य हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहा है.

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य सुधीर भंडारी ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य के 14 जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सीरोसर्विलांस किया गया. इस स्टडी में सामने आया कि 90% लोगों में एंटीबॉडी थे. उन्होंने आगे कहा कि यह इस वजह से है कि 1600 जीनोम सीक्वेंसिंग में से 1500 नमूनों में डेल्टा संस्करण पाया गया और कोई भी क्रिटिकल नहीं था. वयस्कों और बच्चों में एंटीबॉडी का पाया जाना और केसों का नॉन क्रिटिकल होना, ये इस बात के संकेत हैं कि हम हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहे हैं.

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एसएमएस मेडिकल कॉलेज में हुई स्टडी में बच्चों पर भी रिसर्च की गई जिसमें सुधीर भंडारी ने बताया कि जिन बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी थी, उनमें से करीब 76% बच्चों में भी एंटीबॉडीज थे. उन्होंने बताया कि इसका मतलब है कि उन्हें काफी हल्के लेवल का संक्रमण हो चुका था. वहीं सामान्य आबादी में, डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स में एंटीबॉडी का लेवल बराबर था. भंडारी ने आगे कहा कि कोरोना वैक्सीन की दो डोज की वजह से डेल्टा वैरियंट कम क्रिटिकल हो गया है, जो एक अच्छा संकेत है.

प्रधानाचार्य सुधीर भंडारी ने कहा कि कोरोना वैक्सिनेशन ने राज्य में लोगों में इम्युनिटी को बढ़ाया है. जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या वैक्सीन कोरोना के नए वैरियंट को कवर करती है. तो इस पर उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लग जाती हैं और फिर उसके बाद बूस्टर डोज दी जाती है, तो एंटीबॉडी की मात्रा कोरोना के किसी भी वैरियंट के प्रभाव को काफी कम कर देगी.

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