राजस्थान में सियासी संग्राम थमने के बाद मीडिया से रूबरू हुए सचिन पायलट

Smart News Team, Last updated: Tue, 11th Aug 2020, 5:28 PM IST
  • सचिन पायलट के राहुल गाँधी व प्रियंका वाड्रा से मुलाकात के बाद राजस्थान में सियासी सरगर्मी थम गई है. जिसके बाद सचिन पायलट मीडिया से रूबरू हुए और अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया. कांग्रेस आलाकमान से आश्वासन मिलने के बाद पायलट ने फिर से सरकार का साथ देने का वादा किया.
सचिन पायलट

सचिन पायलट के कांग्रेस के आलाकमान से मिलने वाले आश्वासन के बाद राजस्थान में सियासत का संग्राम अब थमने लगा है क्योंकि सचिन पायलट ने अपने बागी विधायकों के साथ फिर से राजस्थान सरकार का साथ देने का वादा किया है. राहुल और प्रियंका से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने मीडिया से रूबरू होकर आप बात मीडिया के सामने रखी. अलग-अगल मीडिया के मंचों पर बातचीत करते हुए पायलट ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी सफाई पेश की और अपनी पीड़ा भी जाहिर की.

सचिन पायलट में कहा कि जब हमारी ही सरकार में हमारे विधायकों के खिलाफ देशद्रोह सहित 45 एफआईआर दर्ज कर दिया जाता है, ऐसे में हमें रिजॉर्ट में पनाह लेनी पड़ी. यह आरोप गलत हैं कि खट्टर सरकार या बीजेपी की हमने मेहमान नवाजी स्वीकारी. हमने अपने खर्चों पर अपने विधायकों के साथ रहा और उनका हौंसला बढ़ाया.

उन्होंने कहा कि मैं पद का भूखा नहीं हूँ. लेकिन जिस प्रकार पिछली बार के 21 सीट के बाद हमने मेहनत किया वैसा हमें सम्मान नहीं मिला. मैंने पार्टी से सिर्फ यही मांग रखी है कि जिनकी कंधे पर चढ़कर हम सरकार में आए हैं, उनका सम्मान होना चाहिए और काम किया जाना चाहिए.

मुख्यमंत्री गहलोत के 'निकम्मा' वाले बयान पर सचिन पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के इस बयान से मुझे काफी चोट पहुँचा, लेकिन मैंने अपनी ओर से पूरा संयम रखा और किसी तरह का गलत जवाब नहीं दिया. राजनीति में हमें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. जब मैं पार्टी अध्यक्ष था तो मुझमे सारे गुण समाहित थे, लेकिन अब अचानक मैं निकम्मा हो गया. मुख्यमंत्री के मुँह से निकला यह शब्द अशोभनीय है.

सचिन पायलट पर पार्टी में एकदूसरे से लड़वाने के लगे आरोप का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं लोगों को जोड़कर चलने वाला हूं, फूट पैदा करने वाला व्यक्ति मैं नहीं हूं. ना ही किसी तरह की ईगो रखता हूं.' वहीं जब पायलट से मीडिया ने ओल्ड बनाम यंग की लड़ाई पर सवाल किया तो उन्होने कहा कि 'पार्टी में हर तरह के लोग हैं जो काम कर रहे हैं, लेकिन नतीजे को देखकर काम किया और दिया जाना चाहिए. जिस ताले में जो चाबी काम करे, उसका इस्तेमाल जरूरी है.'

सचिन ने आलाकमान के हस्तक्षेप से हुई सुलह के बाद कहा कि 'मैंने कोई जिम्मेदारी नहीं मांगी है, लेकिन जो काम मिलेगा करूंगा. मैंने किसी से लड़ाई नहीं की, सिर्फ अपनी मांग उठाई है. राजनीति में लड़ाई की कोई जगह नहीं है, वापस जाकर जनता के वादे पूरा करूंगा फिर चाहे पद हो या नहीं हो.'

उन्होंने कहा कि मेरे किसी भी समर्थक ने पार्टी या सीएम के खिलाफ कोई गलत बयान नहीं दिया. आज इसका प्रमाण मिल गया. जो विधायक पार्टी के लिए जेल गए हों, वो बगावत कैसे कर सकते हैं, आप खुद ही बताइए. राजनीति में उतार-चढ़ाव आते हैं. पार्टी द्वारा उनका पद छीने जाने के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि मैं जहां पर था, वहां मजबूती से खड़ा हूं. पार्टी की ओर से मुझे पद दिए गए हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं अपनी आत्मा की बात ना सुनूं या बंध जाऊं, अगर मुझे कुछ गलत लगेगा तो अपनी बात रख रहा हूं. जो पार्टी किसी को पद दे सकती है उसे पद लेने का भी हक है.

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