कोरोना का साया,लाकडॉउन ने छीना रोजगार , ल़ड़किया नहीं कर पा रही है ऑनलाइन क्लास
- देश में कोरोना वायरस बुरी तरह पैर पसार कर बैठा है जिसके कारण लाखों लोग उसकी चपेट में आ गए है. जो लॉकडाउन से पहले दैनिक मजदूरी, छोटे मोटे काम के जरिये अपने परिवार का पालन पोषण करते थे. लेकिन अब उन के पास रोजगार नहीं है.

जयपुर- कोरोना महामारी और लॉकडाउन से उन लोगो की आर्थिक स्थितियां बुरी तरह प्रभावित हई है जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी कर रहा है प्रदेश में इस समय करीब एक करोड़ परिवार खाद्य सुरक्षा योजना के तहत चिन्हित हैं. ये ऐसे परिवार हैं जो लॉकडाउन से पहले दैनिक मजदूरी, छोटे मोटे काम के जरिये अपने परिवार का पालन पोषण करते थे. जिसका सबसे ज्यदा बुरा असर निम्न वर्ग की महिलाओं और किशोरियों पर भी पड़ रहा है. जो लॉकडाउन से पहले स्कूल जा रही थी लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद उनके स्कूल ड्राप आउट का खतर बना हुआ है. अभी चल रही ऑनलाइन कक्षाओं में भी किसी परिवार में संसाधनों की कमी के चलते लड़कों को ही कक्षा अटैंड करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. लड़कियों को जल्द शादी करने और घर के काम में ही झोंक देने की चिंता भी सता रही है.
आपको बता दें कि एक परिवार से बातचीत में सामने आया कि वो कोरोना के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित होने और रोजगार खोने के बाद वापस अपने गांव लौट आया है. पहले यह परिवार जयपुर में ही रहकर अपना गुजारा कर रहा था. वहां एक छोटे निजी स्कूल में दोनों बच्चे पढ़ते थे. अब समस्या स्कूल से निकलवाने की आ गई है. स्कूल ने ऑनलाइन कक्षा शुरू करवा दी है, अभी तक लड़के को तो पढ़वा रहे हैं. लड़की की ऑनलाइन कक्षा भी छूट गई है.
वहीं डूंगरपुर जिले की एक किशोरी ने बताया कि अभी ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन उनकी कक्षाएं अभी से ड्राप होना शुरू हो गई है. परिवार के पास संसाधनों का होने के कारण लड़की की जगह लड़के को ही ऑनलाइन क्लास पढ़ाई जा रही है.
राजस्थान में काम करने वाली विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इसे लेकर चिंता जताई है. जिनका मानना है कि स्कूल खुलने के बाद बड़ी संख्या में लड़कियों का स्कूल ड्राप आउट का खतरा बना हुआ है.
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