पति-पत्नी विवाद केस में SC का फैसला- बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी पिता की

Smart News Team, Published on: Thu, 2nd Dec 2021, 1:38 PM IST
Supreme Court of India (Archive)

जयपुर. माता-पिता के बीच झगड़े के कारण बच्चों का सामाजिक कौशल भी प्रभावित होता है. कभी-कभी माता-पिता के झगड़ा करने के कारण बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं. माता पिता के व्यवहार का असर बच्चों के दिमाग पर पड़ता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी के बीच झगड़े में बच्चे को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह माना जाता है कि बच्चे के वयस्क होने तक उसका भरण पोषण करना पिता की जिम्मेदारी है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना ने कहा कि "पति और पत्नी के बीच जो भी विवाद हो, एक बच्चे को पीड़ित नहीं होना चाहिए. बच्चे के विकास को बनाए रखने के लिए पिता की जिम्मेदारी तब तक बनी रहती है जब तक बच्चा वयस्क ना हो जाए'.

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सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा पति और पत्नी को दी गई तलाक की डिक्री की पुष्टि की. साथ ही पिता को हर महीने 50,000 रुपये भरण-पोषण देने का भी निर्देश दिया. पीठ ने इस बात पर विचार किया कि अलग हो चुके जोड़े मई 2011 से साथ नहीं रह रहे हैं.इसलिए यह समझा जा सकता है कि शादी हमेशा के लिए टूट चुकी है.

पीठ ने कहा कि दिसंबर 2019 से पिता ने उस राशि का भुगतान करना बंद कर दिया था, जिसका भुगतान सेना के अधिकारियों द्वारा 15 नवंबर, 2012 को पारित आदेश के तहत किया जा रहा था. पीठ ने कहा, "प्रतिवादी-पति को प्रतिवादी की स्थिति के अनुसार, बेटे के भरण-पोषण के लिए दिसंबर 2019 से अपीलकर्ता-पत्नी को प्रति माह 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है. दिसंबर 2019 से नवंबर तक प्रति माह 50,000 रुपये का बकाया 2021 का भुगतान आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाए." दंपति का विवाह 16 नवंबर, 2005 को हुआ था और वह व्यक्ति तब एक मेजर के रूप में सेवा कर रहा था. दंपति का बच्चा अब 13 साल का हो गया है.

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