उत्तर पश्चिमी रेलवे जोन के 5 रूट पर ट्रेनों में लगेगा TCAS डिवाइस, जानिये ट्रेन रूट

Sumit Rajak, Last updated: Mon, 11th Oct 2021, 8:35 PM IST
  • भारतीय रेलवे पहले से ज्यादा सुहाना और सुरक्षित होने जा रहा है. उत्तर पश्चिम रेलवे को स्वदेशी प्रणाली TCAS (Train collision Avoidance system) को विकसित की गई. इस कवच प्रणाली को रेवाड़ी-पालमपुर वाया जयपुर, जयपुर -सवाई माधोपुर, उदयपुर-चित्तौड़गढ़, फुलेरा-जोधपुर- मारवाड़, एवं लोनी-भीलङी  के 1586 किलोमीटर रेल लाइन पर स्वीकृति की गई है.इस स्वदेशी प्रणाली के लगने से रेलों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में बढ़ोतरी होगी.
फाइल फोटो

जयपुरः भारतीय रेलवे का अब पहले से ज्यादा सुहाना और सुरक्षित होने जा रहा है.इस प्रणाली को शुरुआत उत्तर पश्चिम रेलवे के चारों मंडल से होगी. ट्रेनों में ऐसा डिवाइस लगाया जाएगा जिससे आपस में आ रही दोनों ट्रेनों की आापसी  में टक्कर नहीं होगा. ऐसे इससे पहले आपस में एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें आते हैं तो कई बार हादसे का शिकार हो जाते हैं.

 

 

भारतीय रेलवे ने पूर्ण रूप से स्वदेशी प्रणाली TCAS (Train collision Avoidance system) को विकसित किया. इसका कार्य सुरक्षा को प्राथमिक देते हुए ट्रेनों की  बीच की घटनाओं को रोकने के लिए इस स्वदेशी निर्मित सिस्टम का विकसित किया गया. इसका उद्देश्य रेलवे में संरक्षण एवं सुरक्षा सर्वोपरि है. उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेलवे पर सिग्नल को लाल अवस्था में या रुकने के संकेत में पार न करने.

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यह स्वदेशी प्रणाली TCAS (Train collision Avoidance system) के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे को 436.22 करोड़ करोड़ की लागत से 1586 किलोमीटर रेल लाइनों पर मंजूरी मिल गई है. इस कवच प्रणाली को उत्तर पश्चिम रेलवे के रेवाड़ी-पालनपुर वाया जयपुर, उदयपुर- चित्तौड़गढ़, फुलेरा-जोधपुर-मारवाड़, लूनी-भीलड़ी, जयपुर- सवाई माधोपुर, के 1586 किलोमीटर रेल लाइन का स्वीकृति मिल गई है. इस प्रणाली के लगने से एक और रेलों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में बढ़ोतरी होगी. वहीं दूसरी ओर लोको पायलट द्वारा सिगनल की सटीक जानकारी मिलने से ट्रेन की स्पीड में भी बढ़ोतरी होगी.

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यह स्वदेशी निर्मित प्रणाली सेटेलाइट द्वारा रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव और स्टेशनों पर आपसी में संबंध बनाता है. जिससे लोको पायलट को एक और आगे आने वाली सिग्नल के बारे में जानकारी मिलती है. वहीं दूसरी ओर उसे लाइन पर रुकावट या रोकने का पता भी चल जाता है.

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वही इस स्वदेश निर्मित प्रणाली से सिग्नल की लोकेशन को पता लगाया जा सकता है. साथ ही आने वाले सिग्नल की दूरी का भी जानकारी मिल जाता है. जिसके कारण लोको पायलट प्रभारी ढंग से ऑपरेट कर पाता है. इस प्रणाली से जब किसी लाइन पर कोई अन्य गाड़ी आने या खड़ी होने आदि का अब अवरोध का पता लगाने में काम करता है. इस प्रणाली से लोको पायलट को सचेत करती है कि निश्चित समय पर गाड़ी में ब्रेक लगा दिया जाए. इससे अन्य कोई दुर्घटना को रोका जा सकता है.

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