जयपुर में भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर की जाए शिक्षक व पटवारी भर्ती
- भारतीयों में स्थानीय युवाओं को वरीयता देने का मुद्दा गर्म होता जा रहा है फिलहाल मध्य प्रदेश की सरकार ने यह घोषणा कर दी है इसी तर्ज पर राजस्थान में भी अब इस पर सियासत गर्म होने लगी है

राजस्थान के युवाओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जो भर्तियां वर्तमान समय में निकाली जाए उनमें स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने मांग की कि प्रदेश में कई ऐसी भर्तियां होती हैं जहां पर शत-प्रतिशत स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत होती है. इसका उन्होंने उदाहरण पेश करते हुए बताया कि हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह मुद्दा उठाते हुए स्थानीय युवाओं को ही भर्तियों में शामिल किए जाने का ऐलान किया है.
इसके बाद से यह मामला गरमा गया और इसकी आग राजस्थान तक पहुंच गई. बताया कि यह राजस्थान में मुद्दा कई वर्षों से चल रहा है कि स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता दी जाए. मगर इस पर अभी तक कोई भी आदेश पारित नहीं किया जा सका है. बताया गया कि इसमें पटवारी, तृतीय श्रेणी शिक्षक, पशुधन सहायक, कृषि पर्यवेक्षक, महिला पर्यवेक्षक आंगनवाडी, पूर्व प्राथमिक शिक्षक और लिपिक जैसी कई भर्तियां है.
इन भर्तियों में यदि स्थानीय युवाओं को ही वरीयता मिले इससे प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी. कहा कि तृतीय श्रेणी के अधिकांश कर्मचारियों का कैडर जिला स्तर का होता है. इसलिए उन्हें अपने जिले की भाषा और वहां का कल्चर आसानी से समझ में आ जाता है. भर्तियों में स्थानीय ज्ञान रखने के लिए भी सरकार को पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए. उम्मीदवार यदि स्थाई होता है तो उसे कई फायदे मिलते हैं.
बताया कि पटवारी के किसानों से संबंधित काम होते हैं. जमीन को नापने के लिए जो पैरामीटर होते हैं उन्हें स्थानीय व्यक्ति ही आसानी से समझ सकता है. इसी तरह ग्राम विकास अधिकारी लोगों को सरकार की व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं की जानकारी देता है. इसलिए यह जरूरी है कि उसे स्थानीय भाषा आनी चाहिए ताकि वह लोगों को आसानी से समझा सके. शिक्षक भर्ती मामले में भी पक्षकारों ने इसी प्रकार के बयान जारी किए हैं.
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