नई शिक्षा नीति के तहत राजस्थान की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में CBCS लागू करने से इन अभ्यर्थियों पर पड़ेगा असर, जानें मामला

जयपुर. राजस्थान में शिक्षा विभाग के सेवा नियमों में फेरबदल से सीधे तौर पर हजारों अभ्यर्थियों पर असर पड़ने वाला है. दरअसल, नई शिक्षा नीति के तहत सीबीसीएस को राजस्थान की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में लागू करने की तैयारी की जा रही है. लेकिन भर्तियों में यूजी और पीजी में एक ही विषय की बाध्यता करके अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें पैदा की जा रही है.
आपको बता दें कि बीते दिनों प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बतौर कुलाधिपति राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप सीबीसीएस यानि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम अपनाने की सलाह दी है. साथ ही इसे जल्द लागू करने को कहा है. इसके बाद राज्य की यूनिवर्सिटीज इसकी तैयारियों में जुट गई हैं.
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जानकारी के अनुसार सीबीसीएस का मतलब यह है कि विद्यार्थी को निधार्रित विषयों के अतिरिक्त अपने विषय पसंद करने की छूट मिलती है और उसके अनुसार उन्हें ग्रेडिंग दी जाती है. इस सिस्टम में छात्रों के पास निर्धारित पाठ्यक्रमों के चयन का विकल्प होता है. वह अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ विश्वविद्यालय के किसी दूसरे विषय का भी चुनाव करके उसमें कुछ क्रेडिट अंक प्राप्त कर पाता है. मूल्यांकन ग्रेडिंग के आधार पर होगा. इस व्यवस्था में छात्रों को माइग्रेशन, ट्रांसफर आदि में कोई समस्या नहीं होती. वह कहीं से भी दूसरे विषय की पढ़ाई कर सकता है. शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पहले ही सभी विश्वविद्यालय को सीबीसीएस लागू करने को कहा था. नई शिक्षा नीति में आने के बाद से ही राज्य के विश्वविद्यालयों में भी इस पर जोर दिया जा रहा है. आरयू के प्रोफेसर राजीव जैन कुलपति बताते हैं कि जल्द इस पर कवायद पूरी कर ली जाएगी.
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गौरतलब है कि राज्य में यदि स्टूडेंट्स ने ऐसा कर दिया तो व्याख्याता भर्ती परीक्षा में इसका खमियाजा उठाना पड़ सकता हैं. क्योंकि नए नियमों में इस भर्ती के लिए शिक्षा विभाग का कहना है कि कैंडिडेट का उसी विषय से पीजी होना जरूरी है, जिसमें वह यूजी कर चुका है. माना जा रहा है ऐसे करीब दो लाख विद्यार्थी हैं जो साइंस और आर्ट्स में पढ़ाए जाने वाले उसी विषयों में अध्ययन करते हैं. बीएससी के बाद वे बीए कर लेते हैं. क्योंकि साइंस और आर्टस में इकॉनोमिक्स, ज्योग्राफी, साइंस कॉमर्स में गणित, स्टेटिक्स जैसे विषयों के पाठ्यक्रम शामिल होते हैं.
जबकि यूजीसी में विषय बदलाव को लेकर कोई अड़चन नहीं हैं. कैंडिडेट्स का कहना है कि स्कूल व्याख्याता भर्ती स्नातकोत्तर विषय के आधार पर की जाती है. तो फिर स्नातक, स्नातकोत्तर को व्याख्याता भर्ती में जोड़ना गलत है. इसे लेकर अभ्यर्थियों में इन सेवानियमों में किए गए बदलाव से नाराजगी है और साथ ही इस बात की दुविधा और विरोधाभास भी है कि अलग-अलग विषयों के चुनाव करने वाले सीबीसीएस सिस्टम को लागू करने वाले सिस्टम को एक विषय की बाध्यता क्यों थोपी जा रही है.
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